Admission in IIT Dhanbad: बिहार के मुजफ्फरनगर जिले के टिटौड़ा निवासी अतुल के खुशी का कोई ठिकाना नहीं है. अतुल अपने आप को बेहद ही भाग्यशाली मान रहे हैं. क्योंकि सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की बेंच ने आईआईटी धनबाद को अतुल का दाखिला लेने का फैसला सुनाया है. सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले से अतुल सहित उसके पिता और परिवारजनों के खुशी का कोई ठिकाना नहीं है. 


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छात्रावास की सुविधा
सुप्रीम कोर्ट ने अतुल को छात्रावास की सुविधा देने की भी बात कही है. सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद अतुल और उसके पिता राजेन्द्र कुमार के चेहरे पर मुस्कान आई है. वो दोनों सर्वोच्च न्यायालय के इस फैसले से काफी खुश हैं. सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद अतुल ने कहा की अब उसका आईआईटियन बनने का सपना सच हो जाएगा.


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गरीब-दलित परिवार का लड़का 
अतुल बिहार के मुजफ्फरपुर जिले के खतौली क्षेत्र के गांव टिटौडा के गरीब दलित परिवार का लड़का है. जिसका बचपन से आईआईटियन बनने का सपना था. एंट्रेंस एग्जाम देने के बाद उसे आईआईटी धनबाद में एडमिशन मिला था, लेकिन कॉलेज की फीस 17500 रुपए थी. जिसे गरीब परिवार का लड़का देने में सक्षम नहीं था. जब तक उसने पैसों का इंतजाम किया, तब तक पैसा डिपॉजिट करना का समय समाप्त हो गया था. जिस कारण दाखिला के लिए अतुल को सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा सहायता के लिए खटखटाना पड़ा. 


अतुल के पक्ष में सुप्रीम कोर्ट का फैसला 
बीते सोमवार को सुप्रीम कोर्ट ने अतुल के पक्ष में फैसला सुनाते हुए, उनके सपनों को साकार होने के लिए उसे पंख दिया है. जिससे अतुल काफी खुश और खुद को भाग्यशाली मान रहा है. अतुल ने कहा कि वह जल्द ही धनबाद जाकर आईआईटी में एडमिशन लेकर अपनी पढ़ाई शुरू करेंगे. 


इलेक्ट्रिकल इंजीनियर बनते देखना पिता का सपना  
अतुल ने बताया उसने बहुत मेहनत और लगन से जेईई एडवांस एग्जाम को पास किया. जिससे उसे आईआईटी धनबाद में सीट मिली. उसके पिता का सपना है कि वो इलेक्ट्रिकल इंजीनियर बने, लेकिन पैसों की किल्लत की वजह से वह समय रहते आईआईटी धनबाद में अपना सीट लॉक नहीं कर पाया. जिससे उसे आईआईटी की सीट गंवानी पड़ी थी. 


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तकनीकी समस्या के कारण गंवानी पड़ी थी सीट
अतुल ने जब जेईई एडवांस एग्जाम का रिजल्ट 9 जून को देखा तो वह और उसका पूरा परिवार काफी खुश हुए थे, लेकिन 24 जून तक उसे आईआईटी धनबाद में अपना सीट लॉक करने के लिए 17500 रुपये जमा करने थे. घर में पैसे नहीं थे, किसी तरह उसने पैसों का इंतजाम किया लेकिन समय खत्म होने से मात्र चार मिनट पहले किसी तकनीकी समस्या के कारण वह पैसे जमा नहीं कर सका जिससे उसे आईआईटी धनबाद की सीट गंवानी पड़ी थी. 


इनपुट - ज़ी बिहार झारखंड टीम


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