कोडरमा : कहते हैं न कि विश्वास बड़ी बात है. समय-समय पर इसके उदाहरण भी देखने को मिलते रहते हैं. ऐसा ही एक वाकया, इन दिनों चर्चा का विषय बना हुआ है और लोगों की आस्था का केंद्र बनी हुई है एक खुंखड़ी. कोडरमा स्थित चंदवारा में नदी किनारे बहुत बड़ी खुंखड़ी निकली तो लोगों ने उसे आस्था और विश्वास की नजर से देखा. नतीजा, नदी के किनारे लोगों का हुजूम उमड़ने लगा. लोगों ने उसकी पूजा शुरू कर दी है. यहां दो दिन से रोज चार-पांच हजार लोग दर्शन व पूजा करने पहुंच रहे हैं, साथ ही चढ़ावा चढ़ाया जा रहा है. कुछ लोग यहां मंदिर बनाने की बात भी कह रहे हैं. 


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लोग कर रहे हैं मंदिर बनाने की बात
स्थानीय लोगों के अनुसार, जन्माष्टमी के दिन लोगों ने चिलोडीह के पास नदी किनारे बड़ी खुंखड़ी देखी. कुछ लोगों ने उसे तोड़ने का प्रयास किया लेकिन सफलता नहीं मिली. वहीं इस दौरान सांप भी निकला. धीरे-धीरे यह बात फैल गई कि जन्माष्टमी में यह अवतरित हुआ है, इसलिए यह शेषनाग की छतरी है. ऐसे में पूजापाठ के लिए दूर-दूर से लोग पहुंचने लगे. यहां दिनभर महिलाओं की भीड़ उमड़ रही है. यहां पर सफाई कर तिरपाल लगा दिया गया है.



नदी पर गुजरने के लिए बांस बांधा गया है. कारु महतो ने बताया कि यहां काफी संख्या में लोग पहुंच रहे हैं. महिलाएं पूजा के साथ सिंदूर चढ़ा रही हैं. लोग यहां पर मंदिर बनाने की बात भी कह रहे हैं. युवा नेता विरेंद्र कुमार यादव ने कहा कि यह आश्चर्यजनक है. ऐसा लगता है कि शेषनाग फन फैलाए हुए हैं.


नदी पार करने के लिए बनाई व्यवस्था
जिस जगह पर खुंखड़ी सामने आई है, वहां जाने की व्यवस्था नहीं है. नदी पार करनी होती है. ऐसे में नदी पार करने के लिए यहां पत्थर डाले गए हैं और सुरक्षा के लिए बांस लगाए गए हैं. यहां पर लोग दिनभर जमा हो रहे हैं. यहां आने वाले लोग वीडियो काल करके रिश्तेदारों को खुंखड़ी दिखा रहे हैं और इसका वीडियो भी बना रहे हैं. कोई इन्हें महादेव शिव तो कोई विष्णु भगवान बता रहा है. यहां पहुंचने वाले श्रद्धालुओं में महिलाओं की संख्या अधिक है.



माना जाता है कि बरसात के मौसम में बिजली कड़कने से धरती फटती है और इसी समय धरती के अंदर से सफेद रंग की खुंखड़ी निकलती है. दाने के समान खुखड़ी को पुटो और लम्बे को सोरवा खुखड़ी कहा जाता है. असल में खुंखड़ी एक प्रकार की सब्जी भी होती है जो मशरूम के प्रकार की होती है. 


चरवाहों को अच्छी होती है पहचान
पशु चराने वाले चरवाहों को खुंखड़ी की अच्छी परख होती है. उन्हें यह भी पता होता है कि किस स्थान पर खुखड़ी मिल सकती है. हालांकि, जंगल घूमने वाले आदिवासी परिवार भी इस कार्य में दक्ष होते हैं. खास कर महिलाएं जंगल से खुखड़ी लाती हैं और बेचने का काम परिवार के सदस्य करते हैं. हालांकि चंदवारा में जो खुंखड़ी निकली है, उसका आकार शेषनाग के फन की तरह है और काफी प्रयास के बाद भी वह पेड़ से अलग नहीं हो सकी. इसके बाद लोगों ने इसे जन्माष्टमी से जोड़ते हुए यहां पूजा शुरू कर दी है.