Bokaro: झारखंड के बोकारो से एक हैरान करने वाला मामला सामने आया है. यहां पर एक ऐसा स्वास्थ्य केंद्र हैं जहां पर डॉक्टरों की जगह स्वास्थ्य कर्मचारी इलाज करते हैं. डॉक्टर अक्सर यहां से नदारत रहते हैं और सफाई कर्मी के द्वारा मरीजों को बुखार-खांसी की दवाई दी जाती है. इस मामले पर सिविल सर्जने ने जांच की बात कही है. 


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बोकारो जिले में 179 डॉक्टरों की है जरूरत
दरअसल, यह मामला बोकारो के चंदनक्यारी स्थित पीएचसी बरमसिया का है. यहां पर एक ऐसा स्वास्थ्य केंद्र है, जहां पर सफाई कर्मी आपको मरीजों का इलाज करते हुई नजर आएंगे. यहां पर अक्सर डॉक्टर अपनी ड्यूटी से गायब रहते हैं. जिसके कारण ज्यादातर सफाई कर्मी दवा बांटने का काम करते हैं. बोकारो सिविल सर्जन ने इस मामले पर संज्ञान लेते हुए कड़ी कार्रावाई की चेतावनी दी है. मामले को लेकर सिविल सर्जन का कहना है कि सफाई कर्मी बीमारी का इलाज नहीं कर सकता है और ना ही वह दवाई बांट सकता है. उन्होंने कहा कि बोकारो जिले में 179 डॉक्टरों की कमी है. 


डॉक्टर ड्यूटी से रहते हैं नदारत
वहीं, सफाईकर्मी एक दैनिक भत्ते पर कार्यरत अनुसेवक व एक गार्ड के अलावे अन्य कोई भी डॉक्टर या फिर चिकित्साकर्मी ड्यूटी पर मौजूद नहीं रहता है.  इस दौरान अस्पताल में बच्चे, बूढ़े व महिला समेत लगभग आधा दर्जन से अधिक मरीज मौजूद रहते है. जो सुबह से ही इलाज के लिए डॉक्टर के इंतजार में परेशान होकर सफाईकर्मी किरण दास को मर्ज बताकर उन्हीं से दवा लेते हैं. सफाई कर्मी मरीजों से उनका मर्ज पूछ कर दवाई देने का काम करते हैं. 


सफाई कर्मी बुखार खांसी की देता है दवाई
इस दौरान जब सफाई कर्मी से पूछा गया तो उन्होंने कहा कि डॉक्टर जैसा बता कर जाते हैं. उसी आधार पर वह मरीजों को दवा देते हैं.  उन्होंने बताया कि जिसे बुखार होता है उसे बुखार की दवाई दी जाती है और जिसे खांसी होती है उसे खांसी की दवाई दे देते हैं. 


सिविल सर्जन ने दिए जांच के आदेश
वहीं, बोकारो के सिविल सर्जन डॉक्टर अभय भूषण प्रसाद इसे गंभीर मामला बता रहे हैं.  उनका कहना है कि कोई भी सफाई कर्मी दवा नहीं बांट सकता है. उन्होंने इस मामले को लेकर जांच कराने की बात कही और जांच के बाद कड़ी कार्रवाई करने को कहा है.


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