मुकेश कुमार, दरभंगा : उत्तर बिहार के मरीजों के लिए सबसे बड़ा सरकारी अस्पताल, दरभंगा मेडिकल कॉलेज अस्पताल (डीएमसीएच) को बिहार में प्रस्ताविता दूसरे अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) में परिवर्तित करने की बात हो रही है. लेकिन मौजूद समय की स्थिति देख हर कोई सोचने पर मजबूर हो जाता है. उत्तर बिहार का सबसे बड़ा अस्पताल आज खुद इलाज के लिए तरस रहा है. यहां के कई वार्ड में जलजमाव से गंदगी की समस्या है. यहां न तो पीने का साफ पानी है और न ही सफाई की व्यवस्था. पुरुष शौचालय हो या फिर महिलाओं की, किसी में भी दरवाजे नहीं हैं. महिला मरीजों की स्थिति काफी खराब है. शौचालय का हाल बदहाल है. नाले जाम हैं. नालों का पानी वार्ड परिसर में ओवर फ्लो होता रहता है. इस्तेमाल की हुई बैंडेज, सूई और दवाओं के पैकेट्स आदि बिखरे रहते हैं. इनसे संक्रमण का गंभीर खतरा बना रहता है.


COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

ओपीडी, मेडिसिन वार्ड, गायनोलॉजी या फिर शिशु रोग विभाग पूरे परिसर में गंदगी फैली रहती है. गंदगी का आलम यह है कि सूअर और कुत्ते जहां-तहां घूमते रहते हैं. जो कई बीमारियों के वाहक होते हैं. इन सभी समस्याओं से मरीज और परिजन के साथ-साथ इलाज कर रही महिला नर्स भी परेशान है.



यहां की सर्जिकल भवन की स्थिति भी नाजुक है. भवन की दीवार अपनी दशा खुद बता रही है. प्रतिदिन भवन का छज्जे से टुकड़े गिरते रहते हैं. इलाज कराने आए मरीजों के परिजन, डॉक्टर और नर्स की जान जोखिम में पड़ी रहती है. गर्मी में पंखा भी सही तरीके से नहीं चल रहा है.


DMCH परिसर में है कुत्तों का आतंक
कुत्तों ने डीएमसीएच के एक कमरे पर अपना अधिकार जमा रखा है. जब इच्छा हुई रूम से निकले. डीएमसीएच परिसर में घूमे-टहले फिर जहां मन किया वहीं आराम करने लगे. किसी की हिम्मत नहीं है कि उन्हें हटा दे. सीढ़ियों पर आराम कर रहे कुत्ते से लोग बच-बच कर निकलते हैं कि कहीं काट न ले. मरीज और परिजन पूरी रात जगे रहते हैं और सुरक्षित सुबह का इंतजार करते रहते हैं. दिन हो या रात उनकी बादशाहत कायम रहती है. 



डीएमसीएच के अधीक्षक राज रंजन प्रसाद ने अस्पताल की बदहाल स्थिति को स्वीकार किया. जानवरों के आतंक पर उनका कहना है की डीएमसीएच का कोई परिसीमन नहीं है, इसलिए ये परेशानी है. उन्होंने कहा कि हमने सरकार को पत्र लिखा है. सर्जिकल भवन मामले में उनका कहना है कि 2014 में ही इस भवन को क्षतिग्रस्त घोषित कर दिया था, लेकिन दूसरा कोई उपाय नहीं है.