घाटशिला: Ghatshila News: झारखंड के घाटशिला के मुसाबनी मुख्य बाजार में बनी दुकानों से दशकों बाद अब दुकान का भाड़ा वसूलने की तैयारी में जिला प्रशासन की पहल शुरू हो गयी है. जिसका मुसाबनी बाजार के दुकानदारों ने विरोध जताया है. प्रशासन के इस फरमान के विरोध में मुसाबनी के अग्रसेन भवन सभागार में मुसाबनी बाजार के दुकानदारों की आपात बैठक का आयोजन किया गया.


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मुसाबनी बाजार समिति के अध्यक्ष सरदार राजू सिंह की अध्यक्षता में आयोजित इस बैठक में स्थायी पक्का बिल्डिंग वाले दुकानदार और फुटपाथ के दुकानदार भी शामिल हुए. बैठक में बाजार समिति के अध्यक्ष द्वारा मुसाबनी- टाउनशिप बाजार सैरात बंदोबस्ती की जानकारी देते हुए दुकानदारों को बताया गया कि पहले अंचल कार्यालय द्वारा जब मुसाबनी हाट बाजार की बंदोबस्ती के बाद सैरात की वसूली किया जाता था तो सिर्फ फुटपाथ पर लगने वाली दुकानदारों से ही 10 रुपये की दर से प्रति हाट बाजार मासुल लिया जाता था. लेकिन इस बार जिला परिषद कार्यालय द्वारा मुसाबनी टाउनशिप बाजार की सैरात को बंदोबस्ती की बात सामने आ रही है. ऐसी सूचना मिल रही है कि सैरात बंदोबस्ती में मुसाबनी टाउनशिप के इन सभी पक्का दुकानदारों से भी मासुल वसूलने की तैयारी डाक की उच्चतम और बोली लगाने वाले द्वारा करने की तैयारी है. 


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वित्तीय वर्ष 2024-2025 वर्ष के लिए मुसाबनी निवासी सूरज लामा द्वारा उच्चतम बोली तीन लाख 10 हजार रुपये लगाकर मुसाबनी टाउनशिप बाजार की सैरात बंदोबस्ती का इकरारनामा किया है. इसकी सूचना जिला परिषद कार्यालय द्वारा मुसाबनी अंचल कार्यालय को भी दिया गया है. इस निर्णय के आलोक में दुकानदारों ने सर्वसम्मति से निर्णय लिया कि पूर्व में जिस तरह से मुसाबनी हाट बाजार के कच्चे और फुटपाथ पर लगने वाले दुकानों से डाक लेने वाले मासुल की वसूली करते थे. उस व्यवस्था पर उन्हें कोई आपत्ति नहीं है. लेकिन जब मुसाबनी बाजार के सभी पक्की दुकानदारों ने अपने खर्चे से दुकान बनाए हैं तो वह सिर्फ सरकार को जमीन का न्यूनतम रेट दे सकते हैं. दुकान का भाड़ा देने की स्थिति में कोई भी दुकानदार तैयार नहीं है. दुकानदारों ने निर्णय लिया कि सरकार पहले सभी दुकान को लीज देकर दुकानदारों को उनका मालिकाना हक दे तो वे लोग सरकार द्वारा तय रेंट देने के लिए तैयार है. 


मुसाबनी अंचल कार्यालय द्वारा जो दुकान का जो किराया तय किया गया है. वह सबसे छोटे किस्म के दुकान 10 बाय 10 का 1200 रुपये मासिक है. मुसाबनी टाउनशिप में लगभग 400 पक्की दुकान है. यदि सबसे कम 1200 के दर से भी सभी दुकानों से किराया वसूल किया जाएगा तो एक माह में सिर्फ पक्की दुकान से चार लाख 80 हजार रुपये किराए की वसूली होगी. जबकि सालाना सरकारी डाक मात्र तीन लाख 10 हजार रुपये का है. 


सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि दुकान का यह रेट किस आधार पर तय किया गया. इस डाक से सरकार को क्या लाभ होगा? यदि सभी दुकान से किराया वसूल किया जाएगा तो सबसे कम राशि डाक लेने वाले अभिकर्ता को एक साल में न्यूनतम 57 लाख 60 हजार रुपये की वसूली होगी. जिसमें 3 लाख 10 हजार सरकार के खाते में जाएगा. शेष 54 लाख 45 हजार रुपये लेकर डाक लेने वाले मालामाल होंगे. यह माजरा मुसाबनी दुकान के दुकानदारों के समझ से परे है.


इनपुट- रणधीर कुमार सिंह


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