गया: Dussehra 2023: गया शहर के दुर्गाबाड़ी रोड स्थित दुर्गाबाड़ी में आज दशमी के दिन महिलाओं के द्वारा सिंदूर की होली खेली गई. ऐसी मान्यता है की शारदीय नवरात्रि के विजयदशमी के दिन जब मां दुर्गा वापस जाती है तो उनकी विदाई के सम्मान में सिंदूर की होली खेलने की परंपरा है. बंगाली समुदाय में सिंदूर होली खेलने का प्रचलन है जिसे एक उत्सव के रूप में मनाते हुए मां दुर्गा की प्रतिमा को विदाई देते है. इस दौरान गया शहर के अलग अलग मोहल्ले से बंगाली समाज की बड़ी संख्या में महिलाएं शामिल हुई.


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सबसे पहले महिलाएं मां दुर्गा को सिंदूर लगाती है उसके बाद सभी महिलाएं एक दूसरे को सिंदूर लगाकर जश्न मनाती है. यह परंपरा 500 साल से अधिक पुरानी है. मान्यता है की मां दुर्गा 10 दिन के लिए अपने मायके आती है जिसे दुर्गा पूजा के रूप में मनाया जाता है और जब वह वापस जाती है तो विदाई में उनके सम्मान में सिंदूर की होली खेलकर रस्म पूरी की जाती है. इस दौरान महिलाएं सुखी जीवन और परिवार की खुशहाली के लिए मां दुर्गा के चरण को स्पर्श कर आशीर्वाद लेती है. महिलाएं इसे सौभाग्य का प्रतीक मानती है. ऐसी मान्यता है कि सिंदूर होली खेलने से पति की आयु बढ़ती है.


दुर्गाबाड़ी समिति के सचिव विश्वजीत चौधरी ने बताया कि गया दुर्गाबाड़ी में पिछले 1932 से बंगाली समाज के द्वारा मां दुर्गा की प्रतिमा स्थापित की जा रही है. षष्ठी के दिन से मां दुर्गा की पूजा अर्चना,आरती कर आज विजयादशमी को मां को विदाई दी जा रही है. इस मौके पर बंगाली समाज की महिलाओं के द्वारा मां दुर्गा को सिंदूर लगाकर तथा पान के पत्ते से गाल सेंककर आर्शीवाद लिया. आज गया के रुक्मिणी तालाब में मां दुर्गा की प्रतिमा का विसर्जन किया जाएगा.


इनपुट- पुरूषोत्तम कुमार


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