Bihar Thawe Mandir: हार्ट के इलाज के बाद बिहार के इस मंदिर में पहुंचे लालू यादव, जानें मंदिर की खासियत
Bihar Thawe Mandir History: बिहार के जिला गोपालगंज के थावे में स्थित मां थावेवाली के मंदिर के बारे में आप में से बहुत लोगों को जानकारी नहीं होगी, लेकिन इस मंदिर की खासियत और महत्व आप इसी बात से लगा सकते हैं कि यहां आज रविवार के दिन राजद अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव हार्ट के इलाज के बाद अपनी पत्नी और पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी के साथ अपने पैतृक जिले गोपालगंज में मां थावेवाली की पूजा-अर्चना करने के लिए गए थे. वहां उन्होंने माता का आशीर्वाद लिया. चलिए हम आपको इस मंदिर से जुड़ी महत्व और इतिहास के बारे में बताते हैं.
300 साल पुराना मंदिर
मां थावेवाली का ये मंदिर काफी पुराना है. माना जाता है कि ये करीब 300 साल पुराना है. जो कि प्राचीन जाग्रत शक्तिपीठों में से एक है.
मां थावेवाली
आपको बता दें कि मां थावेवाली मंदिर देश में मौजूद 52 शक्तिपीठों की तरह ही मानी जाती है. जिसका काफी महत्व है. हर साल चैत्र और अश्विन के महीने में पड़ने वाले नवरात्र के समय यहां काफी धूम रहता है.
नवरात्रि
लोग अलग-अलग जगह और राज्य से यहां माता के दर्शन और आशीर्वाद लेने के लिए आते हैं. यहां नवरात्रि के समय पशु बलि देने की परंपरा है. वहीं, नवरात्री के समय यहां काफी अच्छा मेला का आयोजन भी किया जाता है.
मंदिर प्राकृतिक खासियत
वहीं, मंदिर की प्राकृतिक खासियत की बात करें तो थावे वाली माता का मंदिर तीन ओर से वन प्रदेशों से घिरा हुआ है. इस प्राचीन मंदिर के परिसर में एक अनोखा और काफी पुराना पेड़ भी है, जिसके वनस्पति परिवार की पहचान अभी तक नहीं हो पाई है. मंदिर में प्रवेश और बाहर निकलने के लिए दो गेट है.
सिंहासिनी भवानी
थावे वाली माता के मंदिर को सिंहासिनी भवानी के नाम से भी जाना जाता है. जहां हर सोमवार और शुक्रवार को विशेष रूप से माता की पूजा की जाती है. वैसे तो यहां भक्तों का तांता हमेशा लगा रहता है, लेकिन सप्ताह के ये दो दिन लोग विशेष तौर पर मंदिर में माता की आराधना करने के लिए आते हैं.
मां थावेवाली मंदिर इतिहास
मां थावेवाली मंदिर का इतिहास प्राचीन होने के साथ काफी दिलचस्प है, जो कि चेरो वंश के एक क्रूर राजा मनन सिंह और देवी भक्त रहषु स्वामी की कहानी से जुड़ा हुआ है.
अकाल
मान्यता है कि यहां एक समय अकाल पड़ गया था, रहषु स्वामी अपने आप को माता के सबसे बड़े भक्त मानते थे. उस समय राजा मनन सिंह ने अपने क्षेत्र में अकाल पड़ने के बाद रहषु स्वामी पर दबाव बनाया कि वो माता को यहां बुलाएं.
माता भक्त रहषु स्वामी
माता भक्त रहषु स्वामी ने राजा को बताया भी था कि अगर माता का यहां आगमन हो गया, तो उनका नाश हो जाएगा. इसके बावजूद राजा के दबाव में रहषु स्वामी ने मां कामाख्या से प्रार्थना की मन में उनके आगमन का उनसे विनती किया. उसी समय मां थावे वहां अवतरित हुई.
महल खंडहर में तब्दील
जिसके बाद राजा मनन सिंह की मृत्यु हो गई. उनका महल खंडहर में तब्दील हो गया. इस घटना के बाद वहां के लोगों ने मां थावे की मंदिर का निर्माण किया. उस समय से थावे में माता की पूजा होने लगी. जो आज एक धर्मस्थली होने के साथ जाग्रत पीठ के रूप में मान्य है.