व्यापारियों की मानें तो एक वक्त हुआ करता था जब ग्रीटिंग कार्ड की बिक्री जोर-शोर से हुआ करती थी. लेकिन जब से डिजिटल युग हुआ है, तब से लोग ग्रीटिंग में पैसा नहीं खर्च नहीं करना चाहते हैं.
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रांची: किसी भी खास मौके पर ग्रीटिंग्स के जरिए शुभकामनाएं देने का एक रीवाज माना जाता था और कार्ड के जरिए लोग अपने मन की बात एक-दूसरे से शेयर करते थे. लेकिन आज के डिजिटल युग में ग्रीटिंग कार्ड का चलन धीरे-धीरे समाप्त हो रहा है. आमतौर पर नए साल के दौरान लोग एक-दूसरे को ग्रीटिंग कार्ड (Greetig Card) देकर नए साल की शुभकामनाएं देते थे, जिसे लेकर बाजारों में अलग-अलग तरीके के कार्ड देखे जाते थे लेकिन आज ग्रीटिंग कार्ड का चलन समाप्त हो रहा.
घट रहा है ग्रीटिंग्स का कारोबार
वहीं, व्यापारियों की मानें तो एक वक्त हुआ करता था जब ग्रीटिंग कार्ड की बिक्री जोर-शोर से हुआ करती थी. लेकिन जब से डिजिटल युग हुआ है, तब से लोग ग्रीटिंग में पैसा नहीं खर्च नहीं करना चाहते. क्योंकि उनके लिए डिजिटली ही किसी को विश कर देना काफी आसान होता है और किफायती भी.
अब फीलिंग से ज्यादा होती है फॉर्मेलिटी!
जानकार मानते हैं कि सोशल मीडिया (Social Media) के दौर में फॉरवर्डेड शुभकामनाएं भेजने का चलन बढ़ गया है. कहीं से मैसेज आया, उसे किसी दूसरे को भेज दिया. इसमें फीलिंग्स नहीं हैं, सिर्फ खाना पूर्ति के लिए शुभकामनाएं भेजी जा रही हैं. जबकि ग्रीटिंग्स कार्ड के दौर में लोग अपने हाथों से भी कुछ मैसेज और कोई याद लिखते थे. जिसे ग्रीटिंग्स भेजा जाता था, उसके प्रति कई तरह की फीलिंग्स होती थी. ग्रीटिंग्स प्राप्त करने वाला भी संदेश पढ़कर भेजने वाले की भावनाओं के समझता था. इससे आपसी प्रेम बढ़ने के साथ संबंध मजबूत होते थे. अब ऐसा नहीं है.
Amita Kumari, News Desk