रणधीर/गुमलाः झारखंड के गुमला में अपर सत्र सह पोक्सो एक्ट के विशेष नायायधीश ने रेप के मामले में एक आरोपी को आजीवन कारावास की सजा सुनाई है. सात ही उसपर 25 हजार रुपये का अर्थदंड भी लगाया है. साथ ही मामले की जांच करने वाले पुलिस अधिकारी पर कार्रवाई करने का निर्देश दिया है. इसके अलावा पीड़िता और उसके परिजनों की सहायता करने का आदेश दिया है.


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धर्म और अध्यात्म के नाम पर जो रिश्ते निहायत पवित्र समझे जाते हैं, लेकिन कुछ धर्म प्रचारक ऐसे हैं जो इसकी आढ़ में अपनी दरिंदगी दिखा रहे हैं. ईसाई धर्म प्रचारक पास्टर चरकु ऊरांव ने पांच वर्षीय अबोध बच्ची के साथ हैवानियत की थी. इसी मामले में जिला एवं अपर सत्र सह पोक्सो एक्ट के विशेष न्यायाधीश लोलार्क दुबे ने ईसाई धर्म प्रचारक पास्टर चरकु ऊरांव को सश्रम आजीवन कारावास एवं 25000 रुपये का अर्थदंड की सजा दी है.



वहीं न्यायालय ने अनुसंधान में शिथिलता बरतने के आरोप में इस केश के आईओ अर्जुन सिंह भेंगरा को भी दोषी मानते हुए एसपी को कार्रवाई का निर्देश दिया है. साथ ही पीड़िता व उसके परिजनों की समुचित देख-रेख, पुनर्वास व शिक्षा के लिए सरकारी सहायता देने की बात कही है.


दरअसल, गुमला जिले के चैनपुर प्रखण्ड स्थित कुरूमगढ़ थाना में बसे मनातू गांव के पास्टर और इस मामले के दोषी चरकु जिर्मी के पास अवस्थित बिलिवर्स चर्च से जुड़ा पास्टर था. वह किराए के मकान में रहकर धर्म प्रचार का काम करता था. लेकिन मौका पाकर उसने अपने घर में उस अबोध बच्ची को बुलाया और उसके साथ दरिंदगी की. बच्ची की नानी की शिकायत के बाद पुलिस ने दुष्कर्मी पास्टर को गिरफ्तार कर लिया था.


वहीं पास्टर चरकु ने भी अपना जुर्म कबूल भी किया था. वह पत्नी सहित पांच बच्चों का पिता भी है. पीड़िता की ओर से अपर लोक अभियोजक चंपा कुमारी व बचाव पक्ष की ओर से मोहम्मद मसूद अहमद ने पैरवी की थी. दोषी पास्टर को सजा मिलने से जहां पीड़िता के परिजनों को राहत दी है. वहीं, इस घटना ने आम आवाम को स्तब्ध और उद्वेलित करते हुए यह सवाल सामने ला दिया है कि जब नीति और धर्म के पहरेदार ही अबोध बच्चियों के अस्मत पर डाका डालने से गुरेज़ न करें तो फिर बच्चियां आखिर सुरक्षित कहां हैं?