बिहारः कैमूर का एक ऐसा स्कूल जहां एक हॉल में बैठते हैं छह अलग-अलग कक्षाओं के छात्र
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बिहारः कैमूर का एक ऐसा स्कूल जहां एक हॉल में बैठते हैं छह अलग-अलग कक्षाओं के छात्र

 बिहार में शिक्षा व्यवस्था को लेकर हमेशा से सवाल उठते रहे हैं. शिक्षक नियुक्ति से लेकर स्कूल भवन निर्माण को लेकर कई बड़ी खामियां दिखी है. 

कैमूर उत्क्रमित विद्यालय में नहीं है छात्रों को पढ़ने की व्यवस्था.

मुकुल जायसवाल/कैमूरः बिहार में शिक्षा व्यवस्था को लेकर हमेशा से सवाल उठते रहे हैं. शिक्षक नियुक्ति से लेकर स्कूल भवन निर्माण को लेकर कई बड़ी खामियां दिखी है. लेकिन अब तक व्यवस्थाओं में सुधार नहीं हो पा रहा है. ऐसा ही नजारा बिहार के कैमूर जिले में दिखा. जहां शिक्षा व्यवस्थाओं में बड़ी त्रुटि दिखी है.

हम आपको एक ऐसे स्कूल को दिखाने जा रहे हैं जहां एक हॉल में लगभग 300 बच्चे पढ़ते हैं. वह भी उन को पढ़ाने के लिए 6 शिक्षक पढ़ाई शुरू करते हैं ऐसा हाल कैमूर जिले के अनुसूचित जाति उत्क्रमित मध्य विद्यालय अखलासपुर का है. यहां कुल 300 बच्चों का नामांकन हुआ है लेकिन विद्यालय को सिर्फ दो अपना कमरा है. 

बगल के सामुदायिक भवन की हाल में गुरुजी एक से छह क्लास तक के बच्चों को बैठाकर पढ़ाते हैं और वही सातवीं और आठवीं क्लास के बच्चे रूम में डेस्क पर बैठकर पढ़ते हैं. जहां बरसात के दिन हो गए क्लास रूम में पानी भर जाता है और छात्रों का आरोप है कि छत से भी पानी गिरते रहता है जिसके कारण पढ़ाई बाधित हो जाती है.

समुदायिक भवन में एक से छह तक लगभग दो सौ बच्चे एक साथ बैठते हैं. उन को पढ़ाने के लिए 6 शिक्षक भी बैठते हैं, लेकिन जब एक साथ सभी शिक्षक पढ़ाना शुरू करते हैं एक दूसरे शिक्षक की आवाज बच्चों के बीच जाने लगता है. जिससे पढ़ाई ढंग से नहीं हो पाती. जिसको लेकर जिला प्रशासन कई सालों से अनजान बना हुआ है. इस तरह से बच्चों के भविष्य से खिलवाड़ कैमूर जिले में होते आ रहा है फिर भी जिला प्रशासन मौन है.

रमाकांत सिह शिक्षक बताते हैं 300 बच्चे के लिए सिर्फ दो कमरे हैं और सामुदायिक भवन के एक हॉल में ही सबको पढ़ाई कराना पड़ता है. इस तरह बच्चे कुछ भी पढ़ नहीं पाते हैं. बारिश होता है तो चारों तरफ से हॉल में पानी चला आता है. गर्मी के मौसम में धूप की किरणें बच्चों तक पहुंचने लगती है ,जाड़े के मौसम में शीतलहर से बच्चे प्रभावित होते हैं, नहीं पढ़ाई हो पाती है .

शिक्षिका संगीता कुमारी बताती हैं कि 298 बच्चे एक साथ पंचायत भवन में बैठते हैं. लेकिन पढ़ाने में काफी दिक्कतें आती है. इसमें 6 टीचर 6 क्लास के बच्चों को एक साथ पढ़ाते हैं. इसमें आवाज गूंजने के कारण कोई भी बात बच्चों को समझ में नहीं आती है.

यहां पढ़ने वाले छात्र-छात्राओं का भी कहना है कि भवन नहीं होने की वजह से पढ़ने में काफी दिक्कतें आती है. इसलिए सभी क्लास के लिए अलग-अलग कमरा होना चाहिए.

वहीं जिलाधिकारी डॉ नवल किशोर चौधरी कहते हैं कि इसे लेकर जिला शिक्षा पदाधिकारी को निर्देश दिया गया है. जिलाधिकारी ने भी माना की बच्चों को पढ़ने में दिक्कतें आती है. इस मामले में काम किया जा रहा है. 

बहरहाल, स्कूल की ऐसी व्यवस्था और प्रशासन की सुस्ती नौनिहालों के लिए भविष्य का खतरा मंडरा रहा है.