Jharkhand News: झारखंड में आदिवासी संगठन के बंद के आह्वान के कारण रेलगाड़ियों, वाहनों की आवाजाही प्रभावित
Jharkhand News: सरना धर्म को मान्यता देने की मांग के समर्थन में एक आदिवासी संगठन के ‘प्रतीकात्मक भारत बंद’ के आह्वान के कारण शनिवार को झारखंड में कुछ स्थानों पर रेल सेवाएं और वाहनों की आवाजाही प्रभावित रही. अधिकारियों ने यह जानकारी दी.
जमशेदपुर: Jharkhand News: सरना धर्म को मान्यता देने की मांग के समर्थन में एक आदिवासी संगठन के ‘प्रतीकात्मक भारत बंद’ के आह्वान के कारण शनिवार को झारखंड में कुछ स्थानों पर रेल सेवाएं और वाहनों की आवाजाही प्रभावित रही. अधिकारियों ने यह जानकारी दी. अधिकारियों ने बताया कि दक्षिण पूर्व रेलवे (एसईआर) के चक्रधरपुर और आद्रा मंडल क्षेत्र में रेल सेवाएं प्रभावित हुईं.
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रेलवे के एक अधिकारी ने बताया कि ‘आदिवासी सेंगेल अभियान’ (एएसए) के समर्थकों ने आद्रा मंडल के कांटाडीह-टाटानगर रेल मार्ग को अवरुद्ध कर दिया, जिससे रांची-हावड़ा वंदे भारत एक्सप्रेस सहित कई रेलगाड़ियों को पुरुलिया रेलवे स्टेशन पर एक घंटे से अधिक समय तक रोका गया. उन्होंने कहा कि बाद में रेलगाड़ी को परिवर्तित मार्ग, पुरुलिया-कोटशिला-मुरी-चांडिल-टाटानगर के रास्ते रवाना किया गया. हटिया-खड़गपुर एक्सप्रेस को रद्द कर दिया गया, जबकि रांची-हावड़ा एक्सप्रेस और हटिया-टाटानागर एक्सप्रेस को मुरी-चांडिल-टाटानगर मार्ग से रवाना किया गया.
अधिकारी ने बताया कि चक्रधरपुर मंडल के आदित्यपुर-गमहरिया और मालुका-डांगोवापोसी स्टेशनों के बीच बहाल्दारोड रेलवे स्टेशन पर लगभग 100 प्रदर्शनकारी पटरी पर बैठ गए. रेलवे की ओर से जारी एक विज्ञप्ति में कहा गया कि आद्रा और चक्रधरपुर मंडल में लगभग दोपहर 12 बजकर 20 मिनट पर आंदोलन वापस ले लिया गया और रेल सेवाएं सामान्य हो गईं.
अधिकारियों ने बताया कि बंद समर्थकों ने करनडीह में टाटा-हाता मार्ग, रोला चौक, बिरसा चौक, सरायकेला के साथ-साथ चाईबासा-रांची मार्ग के विभिन्न स्थानों पर मार्ग अवरुद्ध कर दिया. एएसए के अध्यक्ष सालखन मुर्मू ने दावा किया कि बंद को ‘न केवल झारखंड में, बल्कि पश्चिम बंगाल और ओडिशा सहित पूर्वी भारत के अन्य हिस्सों में भी समर्थन मिला’. पूर्व सांसद मुर्मू ने कहा कि आदिवासियों के पास बंद का आह्वान करने के अलावा कोई अन्य विकल्प नहीं बचा था, ‘क्योंकि हमारी मांग को बार-बार अनुसना किया गया’. उन्होंने कहा, ‘सरना धर्म संहिता देश के 15 करोड़ आदिवासियों की पहचान है, क्योंकि आदिवासी केवल प्रकृति की पूजा करते हैं.’
उन्होंने कहा, ‘अगर हमारी जायज मांग पूरी नहीं हुई तो संगठन अपना आंदोलन और तेज करेगा.’ जनजातीय मामलों के केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा ने ‘आदिवासी सेंगेल अभियान’ के बंद आह्वान पर टिप्पणी करते हुए कहा कि अगर इस तरह के व्यवधान जारी रहे तो लोगों को असुविधा का सामना करना पड़ेगा. मुंडा ने कहा, ‘आम लोगों को इस तरह परेशान करने के बजाय सरना धर्म की मांग उचित मंच पर उठानी चाहिए.’
(इनपुट-भाषा)