क्या है ओपीटी प्रोग्राम? बंद करने पर लाखों भारतीयों की जिंदगी हो जाएगी बर्बाद!
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क्या है ओपीटी प्रोग्राम? बंद करने पर लाखों भारतीयों की जिंदगी हो जाएगी बर्बाद!

What is Optional Practical Training: अमेरिकी चुनाव में ट्रंप का एक नारा था पहले अमेरिकी, यानी देश में जो कुछ होगा, उसमें सबसे पहले अमेरिकी लोगों को शामिल किया जाएगा. यही वजह है कि अमेरिका के नव-निर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के समर्थक अब एच1-बी वीजा के बाद ऑप्शनल प्रैक्टिकल ट्रेनिंग (ओपीटी) प्रोग्राम पर अपना गुस्सा निकाल रहे हैं. तो आइए जानते हैं आखिर क्या है ऑप्शनल प्रैक्टिकल ट्रेनिंग (ओपीटी). इससे भारतीयो की जिंदगी कैसे हो सकती है बर्बाद.

क्या है ओपीटी प्रोग्राम? बंद करने पर लाखों भारतीयों की जिंदगी हो जाएगी बर्बाद!

अमेरिका के नव-निर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अपने चुनावी अभियान में 'मेक अमेरिका ग्रेट अगेन' का नारा दिया था. यानी 'अमेरिका को दोबारा महान बनाओ'. ट्रंप जबसे राष्ट्रपति चुनाव जीते हैं, इसी नीति को लेकर उनका प्रशासन काम करता हुआ दिख रहा है. लेकिन ट्रंप के समर्थक अमेरिका की दो नीतियों का जमकर विरोध कर रहे हैं. जिसमें एच1-बी वीजा तो जगजाहिर है, लेकिन अब समर्थक ऑप्शनल प्रैक्टिकल ट्रेनिंग (ओपीटी) प्रोग्राम पर अपना गुस्सा निकाल रहे हैं. तो आइए समझते हैं क्या है ऑप्शनल प्रैक्टिकल ट्रेनिंग (ओपीटी), इसका क्या भारतीयों पर पड़ेगा प्रभाव.

क्या है ऑप्शनल प्रैक्टिकल ट्रेनिंग?
अमेरिका में करीब हर साल दुनियाभर से करीब 10 लाख छात्र उच्च शिक्षा के लिए आते हैं. ओपीटी एक ऐसा प्रोग्राम है जिसकी मदद से अंतरराष्ट्रीय छात्र अस्थायी तौर पर अमेरिका में रहकर काम कर सकते हैं. अमेरिका आने वाले अंतरराष्ट्रीय छात्रों के बीच यह प्रोग्राम काफी लोकप्रिय है और इसका लाभा पाने वालों में सबसे बड़ा नाम भारतीयों का है. ऑप्शनल प्रैक्टिकल ट्रेनिंग (ओपीटी) एक ऐसा प्रोग्राम है जो अंतरराष्ट्रीय छात्रों को पढ़ाई के बाद एक सीमित समय के लिए काम सीखने का मौका देता है. बहुत ही सरल भाषा में समझें तो यह प्रोग्राम छात्रों को कम समय के लिए रोजगार मुहैया करवाता है.

क्या है इसका फायदा?
बीबीसी में छपी एक रिपोर्ट के मुताबिक, यूनाइटेड स्टेट्स सिटीजनशिप एंड इमीग्रेशन सर्विसेज (यूएससीआईएस) के मुताबिक अंतरराष्ट्रीय छात्र पढ़ाई के दौरान या उसके बाद इस प्रोग्राम के लिए आवेदन कर सकते हैं. इसकी मदद से छात्र एक साल तक अमेरिका में काम कर सकते हैं. ओपीटी के लिए वही छात्र अप्लाई कर सकते हैं जिनके पास स्टडी वीजा है. वीजा काउंसलर गमनदीप सिंह बताते हैं कि अमेरिका में भारत समेत दुनियाभर से पढ़ने आने वाले छात्रों को एफ-1 वीजा दिया जाता है, जिसे स्टडी वीजा भी कहते हैं. वह कहते हैं, "अमेरिका में ग्रेजुएशन तीन साल की बजाय चार साल की होती है, वहीं मास्टर डिग्री में दो ही साल लगते हैं. अगर ओपीटी प्रोग्राम नहीं होगा तो छात्रों को पढ़ाई पूरी करने के तुरंत बाद अपने देश लौटना पड़ेगा." गमनदीप बताते हैं, "पढ़ाई खत्म करने के बाद छात्र आमतौर पर ऑप्शनल प्रैक्टिकल ट्रेनिंग के लिए अप्लाई करते हैं और इसमें उन्हें सालभर तक काम करने का मौका मिल जाता है." सिंह कहते हैं, "ओपीटी के दौरान छात्र उसी क्षेत्र में काम कर सकता है, जिसकी उसने पढ़ाई की है."

अमेरिकी क्यों कर रहे विरोध?
अमेरिका में यूएस टेक वर्कर्स जैसे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ऑप्शनल प्रैक्टिकल ट्रेनिंग प्रोग्राम के खिलाफ खुलकर लिख रहे हैं और इसपर कड़े प्रतिबंध लगाने की मांग कर रहे हैं. यूएस टेक वर्कर्स रोजगार के लिए चलाए जाने वाले वीजा प्रोग्राम के खिलाफ अमेरिकियों का एक प्लेटफॉर्म है. इस पर एक यूजर ने अपने पोस्ट में लिखा कि ओपीटी, एच-1बी वीजा से भी ज्यादा खराब है, जो अमेरिकी युवाओं के लिए नौकरियां खत्म कर रहा है. उन्होंने ओपीटी के तहत काम करने वाले छात्रों को सैलरी में मिलने वाली टैक्स छूट पर भी सवाल उठाया है.

भारतीयों को क्यों होगा नुकसान?
20 जनवरी को डोनाल्ड ट्रंप अमेरिका के राष्ट्रपति पद की शपथ लेंगे. ट्रंप की अमेरिका फर्स्ट नीति का असर कुछ ही दिनों में दिखाई देने लगेगा, क्योंकि वह बार-बार कह चुके हैं कि अमेरिकी नौकरियों पर पहला अधिकार अमेरिका के लोगों का है. अगर यह प्रोग्राम ट्रंप ने बैन कर दिया तो लाखों भारतीयों पर प्रभाव पड़ सकता है. भारत में अमेरिकी दूतावास के मुताबिक साल 2023-24 में 3.31 लाख भारतीय छात्र अमेरिका में पढ़ाई के लिए आए. इन छात्रों में से 29.42 प्रतिशत यानी 97 हजार 556 छात्र ऐसे हैं, जिन्होंने ऑप्शनल प्रैक्टिकल ट्रेनिंग प्रोग्राम को चुना है. इससे साफ पता चलता है कि ओपीटी का असर भारतीयों पर कितना पड़ेगा.

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