जमुई: Jamui News: एक तरफ पूरा देश अमृत महोत्सव मना रहा है. वहीं दूसरी तरफ आजादी के 76 साल बाद भी जमुई जिले के लक्ष्मीपुर प्रखंड क्षेत्र के तीन गांव के सैकड़ों लोग मूलभूत सुविधाओं से वंचित हैं. भारत सरकार के ड्रीम प्रोजेक्ट उज्ज्वला योजना और बिहार सरकार की नल जल योजना सहित सड़क और स्वास्थ्य व्यवस्था से पूरी तरह महरूम है. सत्ता बदली, सियासत बदली, जन्म प्रतिनिधि बदले लेकिन, नहीं बदली इन आदिवासी लोगों की जिंदगी!


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जहां एक तरफ प्रधानमंत्री मोदी महिलाओं को उज्जवला योजना के तहत मुफ्त में गैस कनेक्शन देकर महिलाओं को सम्मान देने की बात करते हैं. वहीं दूसरी तरफ आज तक पूरे गांव में सरकारी लाभ के नाम पर सिर्फ सरकारी स्कूल है. जहां शिक्षक तो आते हैं लेकिन, बच्चों की संख्या नगण्य होती है. स्कूली बच्चों के लिए पंखे तो लगा दिए गए हैं. लेकिन, बिजली नहीं रहने के कारण बच्चे पंखे को देख कर पढ़ाई करते हैं. यूं कहें तो पंखे को पर्देशी के लिए लगाया गया है और कमाई का साधन मात्र जंगल से लकड़ी काटकर बाजार में बेचना है. 


गांव में दिखावे के लिए विभाग के द्वारा सड़क तो बना दी गई है. लेकिन, शहर से कोसों दूर बसा यह गांव पूरी तरह संपर्क पथ से विहीन है. सालों पहले दिखावे के लिए बिजली का पॉल लगा दिया गया है. लेकिन, बिजली आज तक नहीं पहुंच पाई. सबसे बड़ी बात तो यह है कि आज भी जमुई जिले के 17 गांव और 34 टोला बिजली से वंचित है. जहां तक बिजली नहीं पहुंच पाई. 


बिहार सरकार के मुख्य नीतीश कुमार भले ही हर घर बिजली और पीने के लिए स्वच्छ पानी देने का वादा तो करते हैं. लेकिन, वादा खोखला साबित हो रहा है. वहीं जमुई में जिलाधिकारी राकेश कुमार जब से पदभार ग्रहण किए हैं. तब से सुदूर बरती क्षेत्र के लोगों और गरीबों के लिए आवाज बनकर सामने आ रहे है और मूलभूत सुविधाओं से वंचित लोगों तक पहुंचकर अपने से जायजा ले रहे हैं. गरीबों के लिए वृद्धा पेंशन, विधवा पेंशन, राशन कार्ड, प्रधानमंत्री आवास योजना सहित सारे पदाधिकारी के साथ पहुंच कर लोगों के परेशानी को सुन रहे हैं. 


वहीं पूरे मामले को लेकर जिला पदाधिकारी राकेश कुमार का कहना है कि आपके द्वारा मामले को संज्ञान में लाया गया है. हम बहुत जल्द लक्ष्मीपुर प्रखंड के ठाडी पच्चीसी बिचला टोला के लोगों के बीच भी जाएंगे और मूलभूत सुविधाओं की भी व्यवस्था कराया जाएगा. वहीं बिजली विभाग के कार्यपालक अभियंता समीर कुमार रजक का कहना है कि हम लोगों के द्वारा डीपीआर बनाकर विभाग को भेजा गया है. फॉरेस्ट विभाग का इशू है. कीलिरियेंस होने और विभागीय आदेश के बाद कार्य किया जाएगा.
इनपुट- अभिषेक निराला, जमुई


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