जमुई: बिहार सरकार के मुखिया नीतीश कुमार सुशासन और भ्रष्टाचार मुक्त सरकार चलाने के दावे तो करते लेकिन जमुई सदर अस्पताल में दावा ही रह जा रहा है. हम इसलिए ऐसा कह रहे हैं कि जहां बिहार सरकार स्वास्थ्य विभाग में सुधार लाने को लेकर कई तरह की योजनाएं चला रही है तो लाखों करोड़ों खर्च कर बिल्डिंग भी बनाई जा रही है. साथ ही तमाम तरह की व्यवस्था भी कराई जा रही वहीं जमुई सदर अस्पताल में शौचालय परिसर में ऊपर से टपक रहे गंदे पानी से छत का बुरा हाल है.


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साथ ही बता दें कि अस्पताल में पेंट का कार्य चल रहा है. अगर पानी ऊपर से आ रहा है तो नीचे से प्लास्टर या पेंट करने से पानी नहीं रुक सकता है और इसमें सिर्फ पैसे का बंदरबांट होगा. कोई कार्य ढंग से नहीं हो पाएगा और छत को दुरुस्त करने की जो बातें की जा रही है वह कहीं से सफल नहीं हो सकता है. समय रहते अगर इस पर कार्रवाई नहीं की गई तो सदर अस्पताल की शौचालय मैं बड़ी दुर्घटना से इनकार नहीं किया जा सकता है. सरकार के द्वारा बिल्डिंग बनाने के लिए करोड़ों रुपए खर्च की गई राशि की बिल्डिंग जमींदोज हो सकती है. क्योंकि शौचालय से लीकेज के वजह से सदर अस्पताल के बिल्डिंग का पिछला भाग कई हिस्से में क्षतिग्रस्त हो रहा है. जिस तरह बिहार भर में लगातार भ्रष्टाचार का पुल हवा में उड़ जा रहा है तो कहीं न कहीं जमुई सदर अस्पताल की भी बिल्डिंग किसी दिन धराशाई हो सकती है.


इसके अलावा सदर अस्पताल में अगर बिजली की व्यवस्था की बात की जाए तो आज भी नंगी तार बिजली से सदर अस्पताल में सप्लाई की जा रही है. कवर तार अब तक नहीं लगाई गई. बढ़ती गर्मी के कारण अगर तार टूट कर जमीन पर गिरा तो बड़ी दुर्घटना से इनकार नहीं किया जा सकता है. जिसको लेकर विभाग पूरी तरह से लापरवाह बना हुआ है. सदर अस्पताल में बिजली मॉनिटरिंग को लेकर लगाए गए चेंजर अपनी हालत पर रो रहा है. कई बार सदर अस्पताल में घंटों घंटों बिजली बाधित रही और टॉर्च की रोशनी में भी डॉक्टर को इलाज करना पड़ा था जबकि सुर्खियां भी बनी थी, इसके बावजूद भी विभाग इससे सीख नहीं ले पाई है. वहीं अगर सदर अस्पताल के सीढ़ी में लगे रेलिंग की बात की जाए तो वह तो रस्सी के सहारे लटका हुआ है. गलती से भी अगर कोई मरीज उसको पकड़ कर सीढ़ी पर चढ़ने की गलती की तो कितनी बड़ी दुर्घटना होगी इसका अंदाजा आप खुद लगा सकते हैं. अब देखना यह होगा कि इन सारे मामले पर विभाग क्या कुछ कार्रवाई कर पाती है या फिर ऐसे ही लीपापोती कर छोड़ दिया जाएगा और सदर अस्पताल अपनी मुसीबत पर रोता रहेगा.


इनपुट- अभिषेक निराला


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