झारखंड के सीएम हेमंत सोरेन की छवि को लेकर जनता की क्या है राय, सर्वे में हुआ खुलासा
झारखंड के मुख्यमंत्री की छवि पर भ्रष्टाचार के आरोपों के प्रभाव के बारे में लोगों के विचार जानने के लिए एक राष्ट्रव्यापी सर्वे किया गया. सर्वे में पाया गया कि उत्तरदाताओं में सोरेन की छवि को लेकर अलग-अलग राय है.
रांची: झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को 17 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत मिली. शीर्ष अदालत ने उनके खिलाफ कई मुखौटा कंपनियों के माध्यम से मनी लॉन्ड्रिंग मामले में झारखंड हाईकोर्ट में चल रही कार्यवाही पर रोक लगा दी. शीर्ष अदालत ने आदेश पारित करते हुए कहा कि याचिकाकर्ता सीएम के खिलाफ प्रथम दृष्टया केस स्थापित नहीं कर सके. झारखंड में गठबंधन सरकार का नेतृत्व कर रहे आदिवासी नेता इस साल फरवरी में विवादों में फंस गए थे, जब उनके खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोप लगाए गए थे.
झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री और भाजपा नेता रघुबर दास ने उन पर खनन पट्टा हासिल करने के लिए अपने पद का दुरुपयोग करने का आरोप लगाया. केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा ने सोरेन सरकार को चोरों का राजा करार दिया. सोरेन के खिलाफ आरोपों की जांच के लिए झारखंड हाईकोर्ट में याचिका दायर की गई थी. हालांकि, सुप्रीम कोर्ट के आदेश ने झारखंड के सीएम को बड़ी राहत दी, जो हाईकोर्ट द्वारा उनके खिलाफ याचिकाओं को स्वीकार करने के बाद से परेशानियों का सामना कर रहे थे.
झारखंड के मुख्यमंत्री की छवि पर भ्रष्टाचार के आरोपों के प्रभाव के बारे में लोगों के विचार जानने के लिए सीवोटर-इंडियाट्रैकर ने आईएएनएस की ओर से एक राष्ट्रव्यापी सर्वे किया. सर्वे में पाया गया कि उत्तरदाताओं में सोरेन की छवि को लेकर अलग-अलग राय है. 53 प्रतिशत ने दावा किया कि आदिवासी नेता की छवि साफ है. हालांकि, 47 फीसदी उत्तरदाताओं ने इस पर असहमति जताई.
सर्वे ने एनडीए और विपक्षी दोनों मतदाताओं की प्रतिक्रियाओं में एक समान पैटर्न का खुलासा किया. सर्वे के दौरान इस मुद्दे पर एनडीए और विपक्षी दोनों वोटरों की राय बंटी हुई थी. सर्वे के अनुसार 51 प्रतिशत विपक्षी मतदाताओं का मानना है कि सोरेन एक स्वच्छ छवि वाले नेता हैं. इसी तरह, एनडीए के मतदाताओं के विचार विभाजित थे, हालांकि उत्तरदाताओं के एक बड़े अनुपात- 57 प्रतिशत ने जोर देकर कहा कि झारखंड के सीएम एक दागी नेता हैं, जिनके खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोप हैं.
विभिन्न जातीय समूहों के विचारों के लिए, अनुसूचित जातियों के बहुमत- 64 प्रतिशत और अनुसूचित जनजातियों का एक बड़ा अनुपात- 58 प्रतिशत और मुसलमानों- 56 प्रतिशत ने झारखंड के मुख्यमंत्री की स्वच्छ छवि की पुष्टि की. साथ ही, उच्च जाति के हिंदुओं के बहुमत- 66 प्रतिशत और अन्य पिछड़ा वर्ग के एक बड़े अनुपात- 56 प्रतिशत ने जोर देकर कहा कि नेता ने अपने पद का दुरुपयोग किया है और वह भ्रष्ट आचरण में लिप्त हैं.
(आईएएनएस)