सौरभ शुक्ला/​रांचीः प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना आयुष्मान भारत से गरीबों को बहुत ही आशा है. आशा है कि अब उनके बेहतर इलाज की जिम्मेवारी आयुष्मान भारत के गोल्डन कार्ड से पूरी हो जाएगी. लेकिन यह सच साबित नहीं हो पा रही है. अस्पतालों द्वारा इस योजना के तहत लाभ देने को तैयार नहीं है.


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आयुष्मान योजना से आशा रखकर झारखंड के मनोज साहू के परिवार ने आयुष्मान कार्ड बनवाया. लेकिन अस्पताल में जब इलाज के लिए पहुंचे तो दंग रह गए. अस्पताल प्रबंधन ने इलाज के नाम पर चार लाख रुपये का बिल थमा दिया. जबकि उसने अपना आयुष्मान गोल्डन कार्ड भी दिखाया था.


दरअसल, कांके के हुन्दूर के रहने वाले उमेश कुमार 19 तारीख को सड़क हादसे का शिकार हो गया. आनन-फानन में परिजनों ने बेहतर इलाज के लिए रांची के भगवान महावीर मेडिका अस्पताल में भर्ती कराया. जहां इलाज के बाद उन्हें 4 लाख रुपये से अधिक बिल थमा दिया गया.


पेशे से किसान यह परिवार किसी तरह 1 लाख 70 हजार रुपये अस्पताल में जमा करा सकी. जबकि अस्पताल प्रबंधन ने दो लाख रुपए का ब्लैंक चेक भी जमा करवा लिया. इसके बाद मरीज को अस्पताल से डिस्चार्ज कर दिया गया. जबकि इस परिवार का नाम आयुष्मान भारत योजना में दर्ज है. और पीड़ितों ने बताया कि उनके पास गोल्डन कार्ड भी है.


वहीं इस विषय पर जब भगवान महावीर मेडिका प्रबंधन का पक्ष जानना चाहा तो मुख्य द्वार पर खड़े सुरक्षाकर्मियों ने मीडिया को जाने से रोक दिया. साथ ही मीडिया के कैमरे को बंद कराने का प्रयास भी किया गया. बदसलूकी करते हुए सुरक्षाकर्मियों ने प्रबंधन से बात करने से रोका और रविवार होने की बात कहकर अपना पल्ला झाड़ लिया.


बहरहाल आयुष्मान गोल्डन कार्ड होने के बावजूद भी भगवान महावीर मेडिका अस्पताल प्रबंधन अपने मनमानी रवैया के साथ मरीजों की जेब पर डाका डाल रही है.