Ranchi: वित्तीय वर्ष 2020-21 हेमंत सरकार के लिए चुनौतियों से भरा रहा. नई सरकार और उसके बाद Corona का अटैक, Hemant Soren सरकार के लिए डगर आसान नहीं रही. इसके बावजूद सोरेन सरकार का दावा है कि वित्तीय वर्ष 2020-21 में कई चुनौतियों के बावजूद प्रबंधन बेहतर रहा. मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के मुताबिक Covid के समय में राज्य की आय-व्यय को संतुलित रखा गया और 75 प्रतिशत के करीब राशि खर्च की जा चुकी है.


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वहीं, बजट का पैसा खर्च किए जाने और मुख्यमंत्री की ओर से बेहतर वित्त प्रबंधन की तारीफ से राज्य के वित्त मंत्री रामेश्वर उरांव भी उत्साहित हैं. उनका कहना है कि 'अगर इरादा मजबूत हो तो सभी चीजें आसान हो जाती हैं और हेमंत सोरेन की सरकार में यही हुआ, क्योंकि हमारा इरादा पक्का था कि जो भी राजस्व आएगा, उसे सही समय, सही चीजों में खर्च किया जाएगा. हमने ये बेहतर ढंग से किया, जिसकी जमीनी हकीकत भी आज नजर आ रही है. चाहे हेल्थ सेक्टर हो, खाद आपूर्ति विभाग, मनरेगा या फिर खाद वितरण.' रामेश्वर उरांव ने कहा कि 'अगर घुड़सवार अच्छा हो तो घोड़ा बेहतर चलता है हमारी सरकार मजबूत है, जिसका असर दिख रहा है.'


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इधर, सरकार के बेहतर वित्तीय प्रबंधन के दावे को लेकर राजनीति शुरू हो गई है. सरकार के दावे से उलट विरोधियों को आंकड़े समझ नहीं आ रहे हैं.  इसी क्रम में BJP ने सवाल उठाया है कि 'जब सरकार साल भर खाली खजाने का रोना रोती रही तो आखिर 75 फीसदी बजट राशि खर्च कैसे की गई.' बीजेपी विधायक दल के नेता बाबूलाल मरांडी ने कहा कि 'हेमंत सरकार पूरे साल तक पैसे का रोना रोती रही, लेकिन हजार करोड़ का बजट बढ़कर 96 हजार करोड़ का हुआ और अगर 75 फीसदी राशि खर्च हुई तो काम कहां दिख रहा है.'


Babulal Marandi ने सरकार से मांग की है कि जिस तरह से अनुमानित बजट पेश किया जाता है, ठीक उसी तरह से सरकार खर्च हुए राशि का विस्तृत ब्योरा सार्वजनिक करे ताकि लोगों को खर्च की जानकारी मिल सके. वहीं, उन्होंने कहा कि अगर सरकार का खर्च सही होगा तो वह खुद जाकर मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को बधाई देंगे.


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बता दें कि Financial management को लेकर सिर्फ विपक्ष ही सवाल नहीं उठा रहा बल्कि निर्दलीय विधायक सरयू राय ने भी इसे लेकर संदेह जारी किया है. सरयू राय ने कहा है कि 'चुनौतियों के बीच 75 फीसदी राशि का खर्च किया जाना सुखद भी है और आश्चर्यजनक भी.' उन्होंने कहा कि 'राज्य की जो स्थिति थी, उसमें खजाना खाली मिला था और राज्य कर संग्रह भी नहीं कर पाया. हालांकि धीरे-धीरे स्थिति बेहतर हुई है और टैक्स आने लगे हैं. बस देखने की जरूरत है कि जो टैक्स खर्च हुए हैं उसकी गुणवत्ता क्या है.'