खासकर झारखंड की आदिवासी बच्चियों को नौकरी के नाम पर ले जाना और धोखे से बेचने का सिलसिला बदस्तूर जारी है.
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सन्नी शारद/रांचीः झारखंड ह्यूमन ट्रैफिकिंग और बच्चों के गायब होने के मामले में देश में अग्रणी राज्य है. खासकर झारखंड की आदिवासी बच्चियों को नौकरी के नाम पर ले जाना और धोखे से बेचने का सिलसिला बदस्तूर जारी है. झारखंड सरकार ने कई बार ऐसी बच्चों की घर वापसी कर स्वरोजगार से जोड़ने की बात की. लेकिन यह काम अब भी अधूरा ही है.
बच्चों की घर वापसी और स्वरोजगार की काम अधूरा इसलिए है, क्योंकि सरकार को मालूम ही नहीं है कि झारखंड की कितनी बच्चियां मानव तस्करी की शिकार हैं. और कितने बच्चे अब तक गायब है. यानी कि उन्हें पता ही नहीं की कतने ब्च्चे ट्रेस लेस हैं.
लेकिन अब झारखंड सरकार बच्चों को ट्रेस करने के लिए आधुनिक संसाधनों का प्रयोग करेगी. खबरों के मुताबिक झारखंड पुलिस द्वारा एक एप्लीकेशन डेवलप किया जा रहा है. जो बच्चों को तलाशने में मददगार साबित होगी. दरअसल इस ऐप के जरिए कोई भी व्यक्ति मानव तस्करी और इसके शिकार हुए बच्चों के बारे में जानकारी दे सकते हैं. और पुलिस सूचना के आधार पर फौरन काम कर सकती है.
इस ऐप के जरिए कोई व्यक्ति बिना किसी डर के जानकारी दे सकता है. इस एप्लीकेशन को गूगल प्ले स्टोर से डाउनलोड किया जा सकेगा. ऐप में 10 से अधिक जानकारी वाले सवला होंगे, जिसे भरकर अपलोड किया जा सकेगा. यह सूचना झारखंड पुलिस के पास चली जाएगा. उसी सूचना के आधार पर पुलिस आगे की कार्यवाही शुरू करेगी.
रांची के ग्रामीण एसपी अजीत पीटर डुंगडुंग के अनुसार, यह एप्लिकेशन झारखंड पुलिस के डाटा सेंटर और बीआईटी मेसरा के छात्रों द्वारा डेवलप किया जा रहा है. जिसमें मानव तस्करी की शिकार बच्चियां और गायब हुए बच्चों की जानकारी अपलोड कर सकते हैं. वहीं, जानकारी देने वालों का नाम भी गुप्त रहेगा. उन्होंने कहा कि अगर यह एप्लीकेशन सक्सेस हुआ तो जमीन से जुड़े मामले संकलित करने के लिए भी पुलिस एक अलग से एप्लीकेशन डेवलप करेगी. क्योंकि जमीन के मामले थाने तक नहीं पहुंच पाते हैं और विवाद जब ज्यादा बढ़ता है तो हत्या तक की घटना को अंजाम दे दिया जाता है.
झारखंड में लापता बच्चों का डेटा
2013 में 645 बच्चे
2014 में 581 बच्चे
2015 में 442 बच्चे
2016 में 723 बच्चे
2017 में मई तक 118 बच्चे गायब हुए
2014 से 2016 तक में तस्करी का आंकड़ा
2014 में 112 FIR रजिस्टर्ड हुए, जबकि 93 को रेस्क्यू किए गए
2015 में 171 FIR रजिस्टर्ड और 116 रेस्क्यू किये गए
2016 में 97 FIR दर्ज हुए और 104 रेस्क्यू हुए