रांची: झारखंड में राज्यसभा की दो सीटों के लिए हो रहे चुनाव में राजनीतिक पार्टियां भविष्य की राजनीति साधने की कवायद में जुटी हैं. राज्य की विधानसभा का जो मौजूदा संख्याबल है, उसके मुताबिक इन दो सीटों में से एक पर सत्ताधारी गठबंधन और दूसरी सीट पर प्रमुख विपक्षी भारतीय जनता पार्टी के प्रत्याशी की जीत सुनिश्चित मानी जा रही है. इस हिसाब से जीत-हार को लेकर सस्पेंस भले नहीं हो, लेकिन चुनाव में जिन चेहरों को प्रत्याशी के तौर पर आगे किया जा रहा है, उसके जरिए पार्टियां आनेवाले दिनों की अपनी राजनीति की लाइन-लेंथ का संकेत दे रही हैं. 


COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

कौन है आदित्य साहू
भाजपा ने आदित्य साहू को राज्यसभा चुनाव का प्रत्याशी बनाया है. वह लगभग दो वर्ष से झारखंड प्रदेश भाजपा के महामंत्री हैं. अब तक चुनाव लड़ने का कोई अनुभव उन्हें नहीं हैं. पार्टी ने उन्हें प्रत्याशी बनाकर एक साथ कई संदेश देने की कोशिश की है. सबसे पहला संदेश यह कि नेतृत्व की निगाह उन साधारण कार्यकतार्ओं पर भी है, जो निष्ठा के साथ लंबे समय से पार्टी का झंडा ढो रहे हैं. किसी नेता-कार्यकर्ता का प्रोफाइल बड़ा न भी हो तो उसे उसकी निष्ठा के एवज में उच्च पद से नवाजा जा सकता है.


60 सीटों पर वैश्य समाज की पकड़
दूसरा संदेश यह कि राज्य के सियासी समीकरण में वैश्य समाज को पार्टी महत्वपूर्ण मानती है. राज्य की 81 में से लगभग 60 विधानसभा सीटों पर वैश्य समाज की खासी आबादी है और हर चुनाव में यह तबका एक प्रभावी फैक्टर होता है. 


आदित्य साहू रघुबर दास के करीबी
झारखंड भाजपा में वैश्य समाज का सबसे बड़ा चेहरा पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास (Raghubar Das) माने जाते रहे हैं. साहू उनके बेहद करीबी रहे हैं. माना जा रहा है कि पार्टी के केंद्रीय नेतृत्व ने रघुवर दास की पसंद का ख्याल रखा है और इसके जरिए यह बताया गया है कि मुख्यमंत्री की कुर्सी और सत्ता गंवाने के बावजूद पार्टी में रघुवर दास की अहमियत कायम है.


सोनिया गांधी और हेमंत सोरेन की हुई मुलाकात
सत्तारूढ़ गठबंधन यानी झामुमो, कांग्रेस और राजद की ओर से चुनाव में साझा प्रत्याशी पेश किया जायेगा, यह तय हो चुका है. कांग्रेस आलाकमान सोनिया गांधी (Sonia Gandhi) के साथ मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन (Hemant Soren) की रविवार को हुई मुलाकात के बाद यह साफ कर दिया गया है कि गठबंधन के भीतर साझा प्रत्याशी को लेकर जिच नहीं है. 


जदयू ने खीरू महतो को बनाया उम्मीदवार
इस बीच एक अहम राजनीतिक घटनाक्रम में झारखंड प्रदेश जनता दल यूनाइटेड के प्रदेश अध्यक्ष और मांडू क्षेत्र के पूर्व विधायक खीरू महतो को बिहार में जदयू ने राज्यसभा का प्रत्याशी बनाया है. इसका संदेश यह है कि नीतीश कुमार आने वाले दिनों में झारखंड की राजनीति में अपनी पार्टी का दखल बढ़ायेंगे. 


झारखंड पर नीतीश की नजर
खीरू महतो बेहद लो प्रोफाइल लीडर हैं, लेकिन वे जिस कुर्मी जाति से आते हैं, उसका झारखंड में बड़ा जनाधार है. झारखंड में डेढ़ दशक पहले तक जदयू एक महत्वपूर्ण राजनीतिक फैक्टर था, लेकिन पिछले दो विधानसभा चुनावों में इस पार्टी के किसी भी प्रत्याशी को जीत नहीं मिली. माना जा रहा है कि नीतीश कुमार ने झारखंड में अपनी पार्टी की खोई हुई जमीन को वापस हासिल करने की दिशा में पहला कदम बढ़ा दिया है.


(आईएएनएस)