रांची: Grand Mining Case: विधायक बसंत सोरेन की माइनिंग कंपनी ग्रैंड माइनिंग के मामले में सोमवार को निर्वाचन आयोग के समक्ष सुनवाई हुई. दुमका से JMM विधायक बसंत सोरेन को चुनाव आयोग से फिलहाल थोड़ी राहत मिली है. चुनाव आयोग ने उन्हें जवाब दाखिल करने के लिए 15 जून तक का समय दिया है. बसंत सोरेन को 30 मई को ही अपना पक्ष रखना था लेकिन उन्होंने संशोधित जवाब दाखिल करने के लिए और समय की मांग की थी. आयोग ने उनकी अपील पर 15 जून तक का समय दिया है. 


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क्या है पूरा मामला?
बीजेपी ने बसंत सोरेन के खिलाफ पद का दुरुपयोग करने और चुनावी हलफनामे में गलत जानकारी देने का आरोप लगाया था. बीजेपी ने इसकी शिकायत राज्यपाल रमेश बैस से की थी. राज्यपाल रमेश बैस ने मामला चुनाव आयोग (Election Commission) को भेजा था, जिसपर आयोग सुनवाई कर रहा है.  बसंत सोरेन को 30 मई को अपना जवाब दाखिल करना था लेकिन मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के भाई बसंत सोरेन (Basant Soren) ने चुनाव आयोग से अपना संशोधित जवाब दाखिल करने के लिए समय मांगा, जिसे चुनाव आयोग (ECI) ने स्वीकार कर लिया और उन्हें 10 जून तक का समय दिया. विधायक बसंत सोरेन के खिलाफ बीजेपी ने पद का दुरुपयोग करने की शिकायत की थी और झारखंड के राज्यपाल रमेश बैस को ज्ञापन देकर बसंत सोरेन को अयोग्य घोषित करने की मांग की थी.


बसंत सोरेन ने रक्षा अपना पक्ष
दिल्ली में राष्ट्रीय चुनाव आयोग के सामने बसंत सोरेन की तरफ से अधिवक्ता मीनाक्षी अरोरा ने उनका पक्ष रखा. अधिवक्ता मीनाक्षी अरोरा ने मामले की योग्यता पर सवाल उठाते हुए शिकायत को रद्द करने का आग्रह किया. मीनाक्षा ने इस बावत सुप्रीम कोर्ट के 1953 और 1965 के डिसीजन का हवाला भी दिया. 


सुनवाई के बाद बसंत सोरेन की अधिवक्ता सोनल सिंह ने कहा कि हम लोगों ने जवाब देने के लिये मोहलत मांगी है वो हमें मिल गयी है और अब आगे की तारीख पर हम अपने जवाब के साथ आएंगे. वहीं, जेएमएम के प्रवक्ता मनोज पांडे ने कहा कि दोनों ही पक्षों की दलील को चुनाव आयोग ने बहुत गंभीरता से सुना. 14 जून के बाद अगली कोई तारीख मिलेगी जिसमें सुनवाई आगे बढ़ेगी. फिलहाल जेएमएम विधायाक बसंत सोरेन को चुनाव आयोग के तरफ से बड़ी राहत मिली है. चुनाव अयोग ने बसंत सोरेन को जवाब मे संशोधन का समय दिया है.


बीजेपी ने लिखित में मांगा है जवाब
बीजेपी के अधिवक्ता हर्ष ने कहा कि हमने पीटिशन को लिखित मे मांगा है, इसलिए बसंत सोरेन के अधिवक्ताओं ने समय की मांग की है, चुनाव आयोग ने उनकी मांग को मानते हुए समय दिया है. बसंत सोरेन ने अपने जवाब में कहा है कि आयोग से उन्होंने कोई तथ्य नहीं छिपाया है. चुनाव के दौरान सौंपे गए शपथपत्र में भी पूरी जानकारी का उल्लेख है.


(इनपुट-नेहा)


Kamlesh Yadav, Output Desk