देवघर: सदर अस्पताल में मरीजों की जान से खिलवाड़, खुलेआम चल रहा नकली खून का धंधा
हॉस्पिटल में तमाम सुविधाओं के बावजूद ब्लड की कोई व्यवस्था नहीं है. हैरत की बात ये है कि अगर किसी मरीज को खून की जरूरत होती है तो, यहां से डॉक्टर पर्ची काट देते हैं.
देवघर: देवघर के सदर अस्पताल में नकली खून बेचने का गोरखधंधा जोरों पर चल रहा है. हालांकि पुलिस इस मामले में अब छापेमारी कर रही है. बावजूद अब तक इस पर बहुत लगाम लगती नहीं दिख रही है.
नकली ब्लड का काला कारोबार!
हॉस्पिटल में तमाम सुविधाओं के बावजूद ब्लड की कोई व्यवस्था नहीं है. हैरत की बात ये है कि अगर किसी मरीज को खून की जरूरत होती है. तो, यहां से डॉक्टर पर्ची काट देते हैं. जिसके बाद करीब 3 किलोमीटर दूर पुराने सदर अस्पताल में इस पर्ची को दिखाकर खून मिलता है. इस तरह जिंदगी मौत के बीच झूल रहे मरीज को ब्लड मिल पाता है. इसका फायदा नकली ब्लड का कारोबार करने वाले लोग भी धड़ल्ले से उठा रहे हैं.
पुराने सदर अस्पताल पर निर्भरता
वहीं इस मामले पर गोड्डा सांसद निशिकांत दुबे का कहना है कि देवघर में जिला अस्पताल नहीं है. सदर अस्पताल किसी तरह काम कर रहा है. सदर अस्पताल के नए भवन में रेड क्रॉस और ब्लड बैंक के लिए अलग से भवन दिया गया है. लेकिन पिछले 7 सालों से पुराने सदर अस्पताल में ही ब्लड बैंक का संचालन किया जा रहा है. ये सिस्टम पर बड़ा सवाल है.
लचर व्यवस्था के कारण दलाल हावी
सांसद निशिकांत दुबे ने कहा कि पहले तो दलाल खून बेचने का काम करते थे और अब सिस्टम की लचर व्यवस्था के कारण दलाल ऐसे हावी हो गए हैं कि अब मरीजों की जान के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है. उन्होंने मांग की है कि जल्द से जल्द स्वास्थ्य विभाग पुराने सदर अस्पताल से ब्लड बैंक (Blood Bank) को नए सदर अस्पताल में शिफ्ट करें
छापेमारी में दो आरोपी गिरफ्तार
इधर, नकली खून की कीमत लगाने वालों पर अब ताबड़तोड़ छापे मारे जा रहे हैं. अभियान के तहत पुलिस ने दो लोगों को गिरफ्तार भी किया है. दो मेडिकल दुकानों पर भी कार्रवाई की गई. जहां से कुछ आपत्तिजनक सामान बरामद हुआ है. पुलिस के हाथ कुछ अहम सुराग भी लगे हैं, जिनके आधार पर पुलिस मास्टमांइड तक पहुंचने की कोशिश कर रही है.
सवालों में घिरा स्वास्थ्य विभाग
मामले में कई सवाल मुंह बाए खड़े हैं. हैरत की बात है नए सदर अस्पताल में ब्लड बैंक का भवन होने के बाद भी पुराने सदर अस्पताल से ब्लड बैंक संचालित किया जा रहा है. सात साल से स्वास्थ्य विभाग क्यों आंखें मूंदे हैं. शायद इसी का फायदा उठाकर नकली खून बेचने वाले दलालों ने उठाया और जमकर चांदी काटी. हालांकि, आज तक मरीजों को जो परेशानी हुई उसका हिसाब किताब दूर-दूर तक नहीं है.
(इनपुट: विकास रॉय)
Renu Sharma, Output Desk