Ranchi: शेल कंपनियां बनाकर अवैध तरीके से निवेश की सीबीआई जांच कराने की मांग को लेकर दायर याचिका पर झारखंड हाईकोर्ट ने बुधवार को सुनवाई की. याचिका में आरोप लगाया गया है कि सीएम हेमंत सोरेन के कई करीबियों ने कई शेल कंपनियों में निवेश किया है. यह याचिका आगे सुनवाई योग्य (मेंटनेबल) है या नहीं, इस बिंदु पर फैसले के लिए अदालत ने आगामी 3 जून की तारीख तय की है. 


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लगभग तीन घंटे चली सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस डॉ रवि रंजन और जस्टिस एसएन प्रसाद की खंडपीठ ने टिप्पणी की कि- सरकार को अपना राजधर्म नहीं भूलना चाहिए. सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बरल और मुकुल रोहतगी ने राज्य सरकार के बचाव में लंबी बहस की. उन्होंने याचिका को निजी दुर्भावना से प्रेरित और तथ्य विहीन बताया. उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के पूर्व के फैसलों की नजीर देते हुए कहा कि याचिका में तथ्यों को छिपाया गया है, जो नियमों का उल्लंघन है. 


उन्होंने पूर्व के कोर्ट के आदेश और याचिकाकर्ता की विश्वसनीयता पर सवाल खड़े किए. उन्होंने कहा कि याचिका दायर करने वाले व्यक्ति के पिता का सोरेन परिवार के प्रति पुराना राजनीतिक दुराग्रह रहा है. सिब्बल ने यह भी कहा कि जब इसे लेकर कहीं दर्ज नहीं है तो सीबीआई जांच का आदेश कैसे दिया जा सकता है.


दूसरी ओर इस मामले में पार्टी बनाये गये ईडी की ओर से अधिवक्ता तुषार मेहता ने कहा राज्य खनिज संपदाओं से भरा है और जब उसके रक्षक ही भक्षक बने हों तो जरूरी कार्रवाई होनी चाहिए. याचिकाकर्ता के वकील राजीव कुमार ने कहा कि याचिका दस्तावेजों पर आधारित है और आवश्यक नियमों का पालन किया गया है. भ्रष्टाचार से राज्य परेशान है. सीएम का करीबी शेल कंपनी के जरिये अवैध कमाई को शराब, अवैध खनन में इस्तेमाल कर रहा है.


अदालत ने सुनवाई के दौरान कौटिल्य की सूक्ति, 'प्रजा सुखे सुखं राज्ञ: प्रजानां तु हिते हितम, नात्मप्रियं हितं राज्ञ:प्रजानां तु प्रियं हितम' का जिक्र किया इसका अर्थ है - राजा का अपना सुख कुछ नहीं है, प्रजा का सुख ही राजा का सुख है और प्रजा के हित में ही उसका हित है. अदालत याचिका की मेंटेनेबिलिटी के बिंदु पर आदेश के लिए 3 जून की तारीख तय की है.


(आईएएनएस)