Ranchi: जेएसएससी परीक्षा में हुई गड़बड़ी को लेकर छात्रों में आक्रोश है, जिसके बाद अब छात्र सड़कों पर उतर आए हैं. जेएसएससी जेई परीक्षा को लेकर छात्र रणधीर वर्मा चौक पर पहुंचे और राज्य सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी की. साथ ही, उन्होंने सरकार से इस परीक्षा को रद्द करने की मांग की. 


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परीक्षा से पहले वायरल हुए थे उत्तर
दरअसल, 3 जुलाई को जेएसएसी की परीक्षा हुई थी. परीक्षा शुरू होने से कुछ देर पहले ही उसके उत्तर वायरल होने की बात छात्रों के द्वारा कही गई थी. इसके अलावा छात्रों ने जेएसएससी जेई की सीटों को भी बेचे जाने का आरोप सरकार पर लगाया था. अब इन सभी मुद्दों को लेकर छात्रों में काफी गुस्सा है. दूसरी ओर, छात्रों के इस आंदोलन को भाषा विवाद आंदोलन करने वाले जयराम महतो ने अपना समर्थन दिया. जयराम महतो ने सरकार की नीति पर कई सवाल खड़े किए. साथ ही, राज्य सरकार पर छात्रों के साथ ठगी करने का आरोप भी लगाया है.


छात्रों ने की जांच की मांग
वहीं, प्रदर्शन करने वाले छात्रों का कहना है कि वर्तमान में सरकार ने जिस प्रकार से जेपीएसएससी के छात्रों का भविष्य बर्बाद कर रही है,  उसी प्रकार से जेएसएससी जेई के छात्रों के भविष्य के साथ भी खिलवाड़ कर रही है. बता दें कि, 3 जुलाई को जेएसएससी जेई की परीक्षा थी. परीक्षा शुरू होने से पहले 9 बजे उसके उत्तर वायरल कर दिए गए थे. जिसके लेकर छात्रों की मांग है कि सरकार को इसकी जांच करनी चाहिए. 


आंदोलन की दी चेतावनी
साथ ही, छात्र इस परीक्षा को रद्द कर दिया जाने की मांग भी कर रहे है. छात्रों का कहना है कि सरकार उनके के साथ अन्याय कर रही है. वहीं, छात्रों ने सरकार को यह चेतावनी भी दी कि अगर उनकी मांगें पूरी नहीं हुई तो वह उग्र तरीके से आंदोलन करेंगे. 


जयराम महतो ने सरकार पर कसा तंज
दूसरी ओर भाषा विवाद आंदोलन करने वाले जयराम महतो का कहना है कि राज्य सरकार से सभी वर्ग पीड़ित हैं. नौकरी करने वाले लोग प्रमोशन के लिए इंतजार कर रहे हैं. बेरोजगार नौकरी के इंतजार में बैठे हैं. उन्होंने कहा कि अगर दूसरे राज्य के लोग झारखंड में नौकरी करेंगे तो यहां के लोग क्या पशु चराने का काम करेंगे. 


अंडा-मुर्गी बेचना भी रोजगार
साथ ही, उन्होने सरकार पर तंज कसते हुए कहा कि राज्य सरकार खुद कहती है कि अंडा-मुर्गी बेचना भी रोजगार होता है. सरकार आज तक नियोजन नीति नहीं बना पाई है. झारखंड सरकार राज्य विरोधी नीति लाकर यहां के लोगों को खुद ही चुनौती दे रही है. जिसके कारण छात्र आंदोलन करने को मजबूर हैं.


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