Navratri 2021: एमएस धोनी पर है दिउड़ी माता की कृपा, सम्राट अशोक ने कराया था निर्माण
Navratri 2021: राजधानी रांची में स्थित है तमाड़ क्षेत्र. यहां की दिउड़ी माता के रूप में मां दुर्गा सदियों से अपनी भक्तों की मुराद पूरी करती आ रही हैं. राजधानी से 72 किमी की दूरी पर स्थित पहाड़ियों के बीच बना यह मंदिर 700 साल का इतिहास अपने आप में समेटे हुए है. स्थानीय लोगों के अलावा क्रिकेटर धोनी की भी माता में अटूट श्रद्धा है.
Ranchi: नवरात्रि का पर्व शुरू हो चुका है. देवी मां अंबा अपने भक्तों को दर्शन देने आ चुकी हैं. Corona काल के बाद अब देवी मंदिरों के कपाट खुल चुके हैं. इसके कारण मंदिरों में जाकर देवी दर्शन की जो कसक रह गई थी, उसे श्रद्धालु इस बार पूरा कर सकते हैं. हालांकि मंदिरों में दर्शन के लिए Corona Guidelines का पालन करना जरूरी है. इसी के साथ मंदिरों में एक समय में सीमित संख्या में दर्शन करने की अनुमति दी गई है. नवरात्रि के पर्व को देखते हुए मां के मंदिरों को विशेष तौर पर सजाया गया है. इस साज-सज्जा के बीच राजधानी रांची के तमाड़ में स्थित माता का मंदिर अनायास ही भक्तों के आकर्षण का केंद्र बना हुआ है.
असुर करते थे माता की पूजा
राजधानी रांची में स्थित है तमाड़ क्षेत्र. यहां की दिउड़ी माता के रूप में मां दुर्गा सदियों से अपनी भक्तों की मुराद पूरी करती आ रही हैं. राजधानी से 72 किमी की दूरी पर स्थित पहाड़ियों के बीच बना यह मंदिर 700 साल का इतिहास अपने आप में समेटे हुए है. हालांकि आधुनिक मंदिर के निर्माण से और भी पहले यहां पूजा स्थान होने का दावा किया जा रहा है. कहते हैं कि जब यह जगह पूरी तरह निर्जन हुआ करती थी तो यहां असुर निवास करते थे. वे देवी के तांत्रिक स्वरूप की पूजा किया करते थे और संभवतः उन्होंने यहां पीठ के रूप में मंदिर स्थापित किया था. इस तथ्य को इस बात से भी बल मिलता है कि मंदिर में बलि की प्रथा है. इसी आधार पर कहते हैं कि मंदिर असुरों ने रातों-रात बनवा दिया था.
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रामायण काल से भी जुड़ा है इतिहास
दूसरा तथ्य ये है कि आज भी मंदिर में आदिवासी पाहन समाज के लोग पूजा करते हैं और उनकी पूजा रचा को सामाजिक मान्यता भी मिली हुई है. हालांकि मंदिर में ब्राह्मण और पंडा भी पूजा करते हैं. विद्वानों और इतिहासविदों का एक मत ये भी है कि प्राचीन काल में ही यहां की स्थानीय आदिवासी जनजाति देवी की पूजा करती रही होगी. जिन्हें भ्रमवश असुर माना गया हो. रामायण काल में भी इस स्थान के निर्जन वन प्रदेश होने का जिक्र मिलता है, जो कि दंडक वन का ही एक हिस्सा रहा होगा. यहां खर-दूषण और शूर्पणखा का शासन था. मंदिर के आसपास और इसके प्रांगण में घूमने पर इस प्राचीनता का वाकई अहसास होता है.
गर्भगृह में है सोलहभुजी माता की प्रतिमा
मंदिर के स्थापत्य की बात करें तो यह गोल गोपुरम शैली में बना मंदिर है. जिसकी दीवारें स्पष्ट शिल्प और मूर्तिकला से खूबसूरती से सजी हुई हैं. मंदिर की छत तक पौराणिक किरदारों की प्रतिमा, सांस्कृतिक झलकियां उकेरी हुई हैं. मंदिर का गर्भगृह एक छोटा और आध्यात्मिक स्थान है. यहां एक दीपक सदैव जलता रहता है. गर्भगृह में मां की 16 भुजी प्रतिमा की पूजा होती है. ये प्रतिमा तीन फीट ऊंची है और काले पत्थर पर उकेरी गई शैली में बनी हुई है. देवी दुर्गा के इस स्वरूप में बाएं चार हाथों में धनुष, ढाल, परम एवं फूल है. देवी के दाहिने हाथों में तलवार, तीर, डमरू, गदा, शंख, त्रिशूल आदि हैं. देवी का बायां पैर मुड़ा हुआ है जो किसी युद्ध की स्थिति जैसा लगता है और दाहिना पैर कमल पर है. देवी पूर्ण श्रृंगार में बाजूबंद, करधनी, बाली से सुसज्जित हैं.
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सम्राट अशोक ने बनवाया था मंदिर
मंदिर के निर्माण की कहानियों का एक सिरा सम्राट अशोक से जुड़ता है. कहा जाता है कि कलिंग अभियान के लिए जाते हुए सम्राट अशोक ने यहां रुककर मां की आराधना की थी और विजय का आशीष लिया था. इसके साथ ही मंदिर बनाने का आदेश भी दिया था. कहा था कि जब तक मैं युद्ध जीतकर लौटूं एक भव्य मंदिर यहां स्थापित हो. वहीं निर्माण की एक कहानी कहती है, ओडिशा के चमरू पंडा साल में दो बार तमाड़ के राजा को तसर बेचने आते थे. राजा ने उनसे यहीं बसने को कहा. पंडा लोग रहने लगे और एक दिन माता की इच्छा से इस स्थान पर मां का मंदिर बनवाया. कहा जाता है कि सिंहभूम के केरा के राजा अपने दुश्मनों से हारकर दिउड़ी पहुंचे थे. उनके साथ माता की प्रतिमा भी. उन्होंने माता की प्रतिमा को जमीन के भीतर छुपा दिया. इसके बाद यहां मंदिर का निर्माण हुआ.
एमएस धोनी पर भी है मां की कृपा
मंदिर के मशहूर होने की एक और वजह है. पूर्व भारतीय क्रिकेट कप्तान खुद पर दिउड़ी माता की कृपा को खूब मानते हैं. जब वे रांची होते हैं तो यहां पूजा करने जरूर आते हैं. मंदिर में पूजा की उनकी कई तस्वीरें सामने आ चुकी हैं. IPL की शुरुआत से पहले भी वे मंदिर में पूजा करने गए थे. उनका पूरा परिवार माता में श्रद्धा रखता है और वे सभी यहां शुभ मौकों पर पूजा करने पहुंचते हैं. दिउड़ी के इस मंदिर में हर साल नवरात्रों में खास मेला लगता है. इस मंदिर में नवरात्रों में हजारों की संख्या में श्रद्धालुओं का हुजूम उमड़ता है. ऐसा कहा जाता है कि हर साल यहां पर नवरात्रों में 50 से 60 हजार श्रद्धालु माता का आशीर्वाद लेने के लिए आते हैं.