गर्मी बढ़ने के साथ गहराया जल संकट, कई गांवों में बूंद- बूंद पानी को तरसे लोग
बांका जिले के केंदुआर पंचायत को लोगों को अभी से जल संकट का सामना करना पड़ रहा है. यहां के चौखट गांव जो कि एक महादलित लोगों की बसाहट है यहां, गर्मी बढ़ने के साथ ही जल संकट बढ़ने लगा है.
Banka: बांका जिले के केंदुआर पंचायत को लोगों को अभी से जल संकट का सामना करना पड़ रहा है. यहां के चौखट गांव जो कि एक महादलित लोगों की बसाहट है यहां, गर्मी बढ़ने के साथ ही जल संकट बढ़ने लगा है. इस टोला के लोग करीब एक महीने से गांव से दूर बहियार के बोरिंग से पानी ला कर अपने दैनिक उपयोग का काम चलाते हैं.
चापाकल से भी नहीं आता भरपूर पानी
चौखट महादलित टोला के रहने वाले बबलू मांझी बताते हैं कि 'पिछले एक महीने से जब से गर्मी शुरू हुई है, यहां के चापाकल में सुबह के समय थोड़ा बहुत पानी आता है, लेकिन उससे हमारी जरूरत के मुताबिक पानी नहीं मिल पाता, और दिनभर बड़ी मुश्किल से पानी मिल पाता है'.
'अधूरा है नल जल योजना का काम'
करीब 100 परिवार के बसाहट वाले वार्ड में महादलित समाज के लोग रहते हैं. इस वार्ड में तीन सरकारी चापाकल लगे हैं लेकिन उनकी अधिक गहराई नहीं होने के कारण गर्मी के आते ही चापाकल पानी देना बंद कर देते हैं. गर्मी के दिनों में आलम ये रहता है कि इस गांव के चापाकलों पर सुबह से ही पानी के लिए लोगों की भीड़ लगी रहती है. गांव के लोगों ने बताया कि कुछ परिवारों के सदस्य आधा किलो मीटर दूर किसी निजी बोरिंग से जाकर पानी लाते हैं.
ग्रामीणों की मानें तो इस महादलित टोले में जल संकट को देखते हुए सुबह शाम आधा-आधा घंटा के लिए बोरिंग चला कर पानी दिया जाता है. लेकिन इस गांव में रहने वाले लोगों की मानें तो तत्कालीन वार्ड सदस्य की उदासीनता से नल जल योजना अधूरा पड़ा है. हालांकी नल जल योजना के तहत गांव में बोरिंग हो चुका है और 90 घरों तक नल का पाइप भी बिछाया जा चुका है लेकिन अभी तक उसमें पानी नहीं आया है. लोगों की इस समस्या को लेकर BPRO से जब बात की गई तो BPRO शशि कुमार सिंह ने बताया कि 'तात्कालीन वार्ड सदस्य ने कार्य से अधिक की राशि की निकासी कर ली है और बार-बार राशि वापसी को लेकर नोटिस दिया जा रहा है लेकिन वार्ड सदस्य राशि वापस नहीं कर रहे हैं, जिसकी सूचना जिलाधिकारी को दी जाएगी और घर-घर नल का जल पहुंचा कर वार्ड वासियों का जलसंकट दूर किया जाएगा'.
सताने लगी है जल संकट की चिंता
पानी की परेशानी से जूझ रहे ग्रामीणों की चिंता बढ़ती गर्मी के साथ ही बढ़ने लगी है, क्योंकि अभी बरसात आने में भी चार पांच महीने बाकी हैं. ऐसे में जल संकट के और अधिक गहराने पर उनकी परेशानी बढ़ सकती है.
(इनपुट- वीरेंद्र)