देवघरः Baidyanath Dham Deoghar: उत्तर प्रदेश के वाराणसी में सोमवार को प्रधानमंत्री मोदी, काशी के बाबा विश्वनाथ मंदिर के नए भव्य कॉरिडोर का उद्घाटन कर उसे श्रद्धालु जनता को समर्पित कर रहे हैं. मध्यकाल में आक्रमणकारियों ने जब मंदिरों को क्षति पहुंचाई थी तो इसकी चपेट में द्वादश ज्योतिर्लिंग और 51 शक्तिपीठ भी आए थे.


COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

बाद के राजाओं और शक्तिशाली पुजारियों ने इन मंदिरों का फिर से निर्माण तो कराया लेकिन इन मंदिरों की प्राचीन भव्यता कहीं न कहीं छिन गई थी. अब इन मंदिरों को एक बार आध्यात्मिक भव्यता प्रदान की जा रही है. 


काशी में है विशालाक्षी शक्तिपीठ
यह तो पता ही है काशी विश्वनाथ मंदिर द्वादश ज्योतिर्लिंग में से एक है, ठीक इसी क्रम में अगला ज्योतिर्लिंग बैद्यनाथ धाम (Baidyanath Dham Deoghar) देवघर में है. दोनों प्राचीन मंदिरों का आपस में बेहद गहरा संबंध है. दरअसल महादेव शिव ने दोनों ही स्थानों पर शक्तिपीठ एक ही समय में स्थापित किया था और अपने रुद्र भैरव अवतार में से हर मंदिर के लिए भैरव की नियुक्ति की थी.



काशी में महादेव शिव की पहली पत्नी सती के मणि जड़ित कर्ण कुंडल गिरे थे. यहां मणिकर्णिका घाट पर देवी सती के विशालाक्षी शक्तिपीठ की स्थापना महादेव ने की और काल भैरव को उनका रक्षक नियुक्त किया. 


कालभैरव हैं काशी के कोतवाल
काल भैरव को ही काशी का कोतवाल कहते हैं. कालभैरव खुद शिव स्वरूप हैं और मान्यता है कि यम उनका ही एक अंश है. कालभैरव को काशी के लोगों को दंडित करने का अधिकार भी है. बाबा विश्वनाथ धाम भगवान महादेव का अपना घर है. जब वह कैलाश से उतरकर पृथ्वी पर आते हैं तो काशी ही उनका निवासस्थान होता है. 


वैद्यनाथ धाम में है हृदयस्थल शक्तिपीठ
दूसरी ओर, देवघर (Jharkhand) स्थित वैद्यनाथ धाम भी शक्तिपीठ है. यहां देवी सती का हृदय गिरा था. जिसे हृदयपीठ, या हृदयस्थल भी कहते हैं. महादेव शिव ने यहां वैद्यनाथ नाम के भैरव को शक्तिपीठ की सुरक्षा के लिए नियुक्त किया था. कालांतर में जब रावण ने यहां भगवान शिव का आत्मलिंग स्थापित किया तब भगवान विष्णु ने इसी भैरव के नाम पर शिवलिंग का नाम वैद्यनाथ कर दिया.



काशी के विश्वनाथ और देवघर के वैद्यनाथ महादेव धाम में एक समानता है कि दोनों ही शक्तिपीठ शिवलिंग हैं और दोनों के ही भैरव रुद्रावतार हैं. जो श्रद्धालु सावन के महीने में ऋषिकेश गंगा से जल नहीं ला पाते हैं वे काशी विश्वनाथ जाकर गंगाजल भरते हैं. पहले विश्वनाथ का अभिषेक करते हैं और फिर देवघर तक जल लाकर बाबा का जलाभिषेक करते हैं. 


देवघर में माता पार्वती का मंदिर, एक पवित्र लाल सूत्र से भगवान शिव के मंदिर से बंधा हुआ है. यह डोरी शाश्वत बंधन का प्रतीक है. 


देवघर में भी बनना है वैद्यनाथ धाम कॉरिडोर
काशी विश्वनाथ की तर्ज पर देवघर में भी बैद्यनाथ कॉरिडोर का निर्माण होगा. बैद्यनाथ कॉरिडोर क्यू-कॉम्प्लेक्स के सामने मानसरोवर की तरफ बनेगा. मानसरोवर से लेकर पंडित बीएन झा रोड के किनारे बरगद पेड़ के बगल से होते हुए यह कॉरिडोर चौड़ी सड़क से कनेक्ट हो जायेगा. इस कॉरिडोर में एक अलग चौड़ी सड़क होगी.


इस सड़क पर किसी भी वाहन का पार्किंग वर्जित होगा. ना ही इधर से वाहनों को आवागमन होगा. श्रद्धालु पैदल ही कनेक्टिंग रोड व कॉरिडोर से होकर बाबा बैद्यनाथ मंदिर तक दर्शन के लिए जायेंगे. फुट ओवरब्रिज का डिजाइन भी बदला जायेगा. सड़कों के किनारे गार्डेन बनेंगे व बेहतर साफ-सफाई की व्यवस्था रहेगी.


फिर से निखरेगी भव्यता
वैद्यनाथ धाम मंदिर भी आक्रमणकारियों द्वारा खंडित किया गया था, लेकिन आक्रमणकारी शिवलिंग तक नहीं पहुंच सके थे. बाद में पुराने मंदिर की शैली में ही नए भवन का निर्माण कराया गया था. अब काशी की तर्ज पर कॉरिडोर बनने का इंतजार है, ताकि इस मंदिर की भव्यता भी फिर से निखर कर सामने आ सकेगी. 


यह भी पढ़िएः BJP MLA श्रेयसी सिंह ने बढ़ाया बिहार का सम्मान, 64वीं नेशनल शूटिंग चैंपियनशिप में जीता दूसरा GOLD