रांची: Sand crisis: झारखंड में बालू का संकट दिन प्रतिदिन गहराता ही जा रहा है. जिसके चलते राज्य में सभी तरह के निर्माण कार्यों पर रोक लगा हुआ था.  इसका मुख्य कारण यह है कि रांची में बालू घाटों की बंदोबस्ती नहीं है इसके अलावा स्टॉक लाइसेंस भी सीज कर दिया गया था. बालू की कमी के चलते निर्माण कार्यों में हो रहे परेशानियों अब बंगाल के बालू के आवक और स्टॉक यार्ड खुलने गति मिल सकती है. 


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 हर दिन 500 गाड़ी बालू की खपत 
रांची जिले के जिन बालू स्टॉकिस्टों के लाइसेंस को सीज कर दिया गया था, उसे फिर से चालू करने की प्रक्रिया शुरु कर दी गई है. बालू ट्रक एसोसिएशन के उपाध्यक्ष राजेश रंजन ने कहा कि रांची में हर दिन लगभग 500 गाड़ी बालू की खपत होती है पर अभी महज 50 गाड़ी बालू ही आ रहे हैं. ऐसे में महज 30 प्रतिशत निर्माण कार्य ही शुरु हो पा रहा है. बालू कम होने के कारण लोगों को मंहगा मिल रहा है. बालू  पहले की अपेक्षा दोगुने और तीन गुने दामों पर बिक रहा है.  20 से 25 हजार रुपए हाइवा मिलने वाला बालू अभी 34 से 40 हजार रुपए प्रति हाइवा तक मिल रहा है.


क्यों गहराया बालू का संकट
राज्य सरकार ने 2019 के बाद से बालू घाटों की बंदोबस्ती नहीं की है. मानसून शुरु होने के कारण 15 अक्तूबर तक एनजीटी ने बालू खनन पर रोक लगा  दिया है. इस साल सभी बालू स्टॉकिस्ट के लाइसेंस जनवरी से ही सीज कर दिए गए थे. मानसून के दौरान पुराने स्टॉक से बालू की आपूर्ति बाधित थी स्टॉक यार्ड खोलने की मंजूरी के बाद ही बालू की आपूर्ति सामान्य हो पाएगी. 


झारखंड सरकार के मंत्री जगरनाथ महतो ने कहा कि बालू को लेकर हर तरफ यही बात हो रही थी कि बालू की लूट हो रही है, बंद हुआ तो उसमें भी सरकार दोषी ,खोले तो भी सरकार दोषी.  लेकिन बिना बालू के कोई काम हो नहीं सकता. कुछ लोग दायरे से बाहर जाकर काम कर रहे थे उनको व्यवस्थित करने का प्रयास किया गया था. व्यवस्थित होने के बाद किसी को दिक्कत नहीं होगी.


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झारखंड कांग्रेस ने कहा कि बालू संकट और सूबे के निर्माण कार्य ठप्प होने से बड़ी संख्या में मजदूर के प्रभावित हो रहे हैं. स्वाभाविक तौर पर देरी हुई है और इसकी वजह वो प्रशासनिक चूक को मानते हैं. उन्होंने कहा कि सरकार इस पर काफी गंभीर है. जो चूक हुई है उस चूक की भरपाई सरकार संवेदनशीलता और प्रतिबद्धता के साथ करेगी.