Chatra: घटना झारखंड के चतरा जिले के जगन्नाथपुर गांव का है. लखन बैगा नामक युवक जो विलुप्त होते आदिम जनजाति से ताल्लुक रखता है. जानकारी के अनुसार वह पिछले दो महीनों से लापता है. लखन बैगा की पत्नी इन दो महीनों से पुलिस-प्रशासन और अस्पताल के चक्कर काटती रही पर हर जगह से उसे निराशा ही हाथ लगी.


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जानिए क्या है पूरा मामला


20 अक्टूबर लखन बैगा पत्नी के साथ कुंदा से घर लौट रहे थे. इसी दौरान टिकुलिया गांव के पास लखन बैगा की तबीयत अचानक खराब हो गई. इसके बाद स्थानीय ग्रामीणों ने इसकी सूचना कुंदा मुखिया को दी. इसपर मुखिया ने आनन-फानन में कुंदा के चिकित्सा प्रभारी को सूचना देकर एंबुलेंस से लखन बैगा को इलाज के लिए चतरा भिजवा दिया था. अस्पताल जाने के बाद से आजतक वो वापस घर लौट कर नहीं आ पाया. जिसकी तलाश में उसकी पत्नी पिछले 2 महीने से अस्पताल और प्रशासनिक दफ्तरों के चक्कर काट रही है.


दो महीनों से पति लापता, नहीं मिल रहा कोई सुराग


लखन की बेसहारा पत्नी सुनीता कभी थाने,कभी ब्लॉक तो कभी मुखिया के घर का चक्कर लगा रही है. अब तक किसी ने भी इनके पति  को ढूंढने में जरा भी गंभीरता नहीं दिखाई. सुनीता के मुताबिक जब उन्होंने चिकित्सा प्रभारी से अपने पति के बारे में जानने की कोशिश की तो उन्हें हजारीबाग जाने को कहा. उन्होंने कैमरे में कुछ भी कहने से इंकार कर दिया और लखन बैगा को ढूंढने का आश्वासन भर दिया.


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परिवार की माली हालत खराब


वहीं पूरे घटनाक्रम का दर्दनाक पहलू यह है कि लखन की पत्नी लकड़ी बेचकर अपना और अपने बच्चों के साथ-साथ बुजुर्ग ससुर का पेट पाल रही है. कोई ठोस कार्रवाई करने के बजाय सरकारी सिस्टम लखन की लाचार पत्नी को सरकारी दफ्तरों के चक्कर लगवा रही है. घर में आय का कोई अन्य स्रोत न होने के कारण लखन की पत्नी आर्थिक और मानसिक दोनों ही तौर पर परेशान हो चुकी है. वहीं प्रशासन के सुस्त रवैये को देखकर लखन की पत्नी की आखरी उम्मीद भी अब टूटती जा रही है.