Kaimur News: सदर अस्पताल भभुआ में स्वास्थ्य सेवाओं का बुरा हाल, बिना पैसे दिए नहीं होता पोस्टमार्टम!
Kaimur News: कैमूर सदर अस्पताल के पोस्टमार्टम हाउस में डॉक्टर बिना पैसे लिए पोस्टमार्टम तक नहीं करते हैं. कैमूर सिविल सर्जन डॉक्टर मीना कुमारी ने भी इस बात को स्वीकार किया. उन्होंने कहा कि उन्हें मना किया जाता है लेकिन वह नहीं मानते हैं.
Kaimur News: कैमूर जिले के सदर अस्पताल भभुआ से मानवता को शर्मसार करने वाली घटना सामने आई है. अगर किसी कारण से कैमूर जिले में किसी भी व्यक्ति की मौत हो जाती है और उसे पोस्टमार्टम करने के लिए सदर अस्पताल भभुआ भेजा जाता है तो बिना पैसा लिए पोस्टमार्टम नहीं होता है. मतलब लाश पर भी सदर अस्पताल भभुआ में पैसे देने पड़ते हैं. यह हम नहीं बल्कि पोस्टमार्टम कराने आए परिजन बता रहे हैं. अगर कोई उनके द्वारा डिमांड किए गए पैसे नहीं देता है तो उनका पोस्टमार्टम होना मुश्किल हो जाएगा. एक तो लोगों के घर का चिराग बुझ जाता है, दुखों का पहाड़ परिवार पर टूट जाता है, लेकिन वैसे हालत में भी सरकार के करोड़ों रुपए खर्च करने के बाद भी बिना नजराना दिए पोस्टमार्टम कराना संभव नहीं है. कुछ लोगों के पास पैसा होता है तो दे देते हैं नहीं तो कुछ लोग चंदा इकट्ठा कर नजराना देने को मजबूत होते हैं.
वहीं सिविल सर्जन कहती हैं हम लोग उसको मना करते हैं मामला संज्ञान में आता है लेकिन स्टाफ की कमी के कारण बहुत ज्यादा कुछ कह नहीं पाते नहीं तो वह भाग जाता है. अक्षय लाल बिंद बताते हैं कि रामगढ़ के सिझुआ से आए हैं. मेरा दो भतीजा तालाब में डूब गया जिससे उसकी मौत हो गई है. दोनों के शव को पोस्टमार्टम करने के लिए सदर अस्पताल भभुआ आए हैं लेकिन यहां पर पोस्टमार्टम करने के लिए एक बच्चे से 2000 रुपये मांगा जा रहा है हम गरीब आदमी कहां से पैसे देंगे. दामोदरपुर गांव के सुखदेव पासवान बताते हैं कि मेरे घर का दो बच्चा तालाब में डूब गया है, जिससे उसकी मौत हो गई है.
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उन्होंने कहा कि बच्चे के शव का पोस्टमार्टम करने के लिए सदर अस्पताल भभुआ आए हैं, तो यहां पर पोस्टमार्टम करने के लिए एक बच्चे का 600 रुपये मांगे जा रहे हैं. हम गरीब आदमी कहां से उसको पैसा देंगे, बहुत परेशानी है. वहीं कैमूर सिविल सर्जन डॉक्टर मीना कुमारी बताती हैं सदर अस्पताल भभुआ के पोस्टमार्टम कर्मी के द्वारा कुछ लोगों से कभी पैसा मांग लिया जाता है. कई बार उसको मना किया गया है, लेकिन वह नहीं मानता है. कई बार तो वह भाग भी गया. स्टाफ की कमी होने के कारण कुछ परेशानी हो गई है. फिर भी हम लोग प्रयास करेंगे कि लोगों से पैसा वह नहीं मांगे. लिखकर भी दीवाल पर चिपका देंगे कि मांगने पर भी पैसा ना दिया जाए.
रिपोर्ट- मुकुल जायसवाल