कैमूर : कैमूर जिले के कुदरा प्रखंड में न्यू प्राथमिक विद्यालय तरहनी के प्रभारी हेडमास्टर सिकेंद्र कुमार सुमन को राष्ट्रीय शिक्षक पुरस्कार 2024 के लिए चुना गया है. उन्हें यह सम्मान दिल्ली में 5 सितंबर को शिक्षक सम्मान समारोह में दिया जाएगा. इस पुरस्कार के लिए जारी की गई सूची में उनका नाम भी शामिल है. उनके विद्यालय में बच्चे निजी स्कूल की तरह टाई और बेल्ट पहनकर पढ़ने आते हैं और मोबाइल पर ऑनलाइन परीक्षा देते हैं, जो यहां की शिक्षा व्यवस्था की एक खास बात है.


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मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार सिकेंद्र कुमार सुमन ने तरहनी विद्यालय में कई सुधार किए हैं. उन्होंने ऑनलाइन परीक्षा की शुरुआत की और क्लास में समय पर घंटी बजाने के लिए ऑटोमेटिक सिस्टम लगाया है. इसके अलावा 5वीं कक्षा के सभी बच्चों का अपना ईमेल आईडी भी बनाया गया है, जो आधुनिक शिक्षा की ओर एक कदम है. उनके प्रयासों से विद्यालय में शिक्षा का स्तर काफी सुधरा है और बच्चे उत्साह के साथ पढ़ाई कर रहे हैं. कुदरा प्रखंड के इस स्कूल में हेडमास्टर सिकेंद्र कुमार सुमन के साथ तीन शिक्षक कार्यरत हैं. स्कूल में कुल 52 बच्चे नामांकित हैं और सभी शिक्षक मिलकर बच्चों की शिक्षा को बेहतर बनाने के लिए लगातार प्रयास कर रहे हैं. स्कूल के प्रति हेडमास्टर सिकेंद्र कुमार सुमन की मेहनत और समर्पण की वजह से उनका नाम राष्ट्रीय शिक्षक सम्मान के लिए चुना गया है.


इसके अलावा यह कुदरा प्रखंड के लिए गर्व की बात है कि इसके पहले भी दो शिक्षक राष्ट्रीय पुरस्कार जीत चुके हैं. 2021 में रामगढ़ प्रखंड के मिडिल स्कूल डहरक के हेडमास्टर हरदास शर्मा को और 2023 में आदर्श बालिका इंटर स्तरीय विद्यालय के प्रधानाध्यापक अनिल कुमार सिंह को यह सम्मान मिल चुका है. अब सिकेंद्र कुमार सुमन जिले के तीसरे शिक्षक बन गए हैं जिन्हें यह पुरस्कार मिलेगा. प्रभारी हेडमास्टर सिकेंद्र कुमार सुमन ने इस बारे में कहा कि राष्ट्रीय शिक्षक पुरस्कार के लिए नाम चुने जाने पर उन्हें बहुत खुशी हो रही है. उन्होंने कहा कि यह पुरस्कार सिर्फ उनका नहीं है बल्कि विद्यालय के सभी शिक्षकों का भी योगदान है जिन्होंने मिलकर अपने पैसों से बच्चों की पढ़ाई के लिए व्यवस्था की है. उनके अनुसार, यह सम्मान पूरी टीम की मेहनत का नतीजा है.


साथ ही सिकेंद्र कुमार सुमन का यह समर्पण और मेहनत अन्य शिक्षकों के लिए भी प्रेरणादायक है, जो शिक्षा के क्षेत्र में सुधार के लिए काम कर रहे हैं. उनके प्रयासों ने साबित कर दिया है कि समर्पण और मेहनत से किसी भी विद्यालय को बेहतर बनाया जा सकता है.


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