Navratri Special: बिहार के इस इस मंदिर में दी जाती है अनोखी रक्तविहीन बकरे की बलि, देश-विदेश से आते हैं श्रद्धालु, जरूर पूरी होती है मनोकामना
Maa Mundeshwari Dham Mysterious Story: मां मुंडेश्वरी धाम मंदिर राजधानी पटना से करीब 200 किलोमीटर की दूरी पर भगवानपुर प्रखंड के पवरा पहाड़ी पर स्थित है. इस मंदिर की आश्चर्यजनक बात यह है कि इस मंदिर में बिना रक्त बहाए ही यानी रक्तविहीन बकरे की बलि चढ़ जाती है.
कैमूरः Navratri Special: बिहार के कैमूर जिला पहाड़ों और जंगलों से घिरा हुआ है. इन्हीं पहाड़ों के बीच पवरा पहाड़ी के शिखर पर मौजूद माता मुंडेश्वरी धाम मंदिर है. ये मंदिर इसलिए भी खास है, क्योंकि ये स्ट्रक्चर के लिहाज से देश में माता का सबसे पुराना मंदिर है. 600 फीट की ऊंचाई पर मां मुंडेश्वरी का मंदिर मौजूद है, जो भी दर्शन करने मंदिर में आते हैं और कुछ मन्नत मांगते हैं. मन्नत पूरी होने के बाद मां के चरणों में बकरा चढ़ाते हैं. ये मंदिर अपने इतिहास के साथ ही यहां होने वाली रक्तहीन बलि के लिए भी जाना जाता है. यहां बकरे की जान नहीं ली जाती. बस मंत्रों से कुछ देर के लिए बकरा मां के चरणों में बेहोश हो जाता है और फिर पुजारी जब मंत्रोच्चारण के साथ अक्षत और फूल बकरे पर मारते हैं तो वह बकरा खड़ा हो जाता है. इसे ही बलि माना जाता है. ऐसी अद्भुत बलि पूरे विश्व में कहीं भी नहीं दी जाती है.
बिहार की राजधानी पटना से करीब 200 किलोमीटर की दूरी पर मां मुंडेश्वरी का मंदिर है. जो कैमूर जिले के भभुआ मुख्यालय से करीब 14 किलोमीटर की दूरी पर भगवानपुर ब्लॉक स्थित रामगढ़ पंचायत में पवरा पहाड़ी पर है. नीचे से मंदिर जाने के दो रास्ते हैं. पहला सीढ़ियों से, दूसरा घुमावदार सड़क जो 524 फीट की उंचाई तक जाती है. इन दोनों ही रास्तों के बाद फिर सीढ़ियों पर चढ़कर मंदिर तक जाया जाता है. हर दिन सूर्योदय से लेकर सूर्यास्त तक मंदिर खुला रहता है. नवरात्रि में श्रद्धालुओं की काफी भीड़ उमड़ रही है. बिहार के साथ ही उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, झारखंड, बंगाल और देश के कौन-कौन से भी भक्त मां के दर्शन के लिए पहुंच रहे हैं.
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मां मुंडेश्वरी मंदिर के प्रधान पुजारी उमेश कुमार मिश्र बताते हैं कि इस मंदिर का इतिहास ऐसा है कि इसके बारे में कोई सही-सही जानकारी नहीं दे पाएगा. अभी सिर्फ पहाड़ी पर मंदिर का गर्भगृह है. जबकि पहले कभी यहां चारों तरफ मंदिर बने थे, बड़ा स्ट्रक्चर था. मान्यता के अनुसार, यहां चंड और मुंड नाम के दो असुर रहा करते थे. ये लोगों को प्रताड़ित करते थे, जिनकी पुकार सुन मां धरती पर आई और दोनों असुरों का वध किया. माता ने सबसे पहले चंड का वध किया. यह देख मुंड मां से युद्ध करते हुए इसी पहाड़ी पर छिप गया. लेकिन देवी मां ने इस पहाड़ी पर पहुंच कर मुंड का भी वध किया. इसी के बाद से यह जगह माता मुंडेश्वरी देवी के नाम से प्रसिद्ध हुआ. मां मुंडेश्वरी के मंदिर में गर्भगृह के अंदर पंचमुखी भगवान शिव का शिवलिंग है. जिसकी भव्यता अपने आप में अनोखी है.
इनपुट- मुकुल जायसवाल
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