कैमूर: कैमूर जिले के भगवानपुर प्रखंड के पवरा पहाड़ी पर स्थित विश्व प्रसिद्ध मां मुंडेश्वरी धाम में नववर्ष के पहले दिन श्रद्धालुओं का सैलाब उमड़ पड़ा. अहले सुबह से ही हजारों श्रद्धालु मंदिर परिसर में माता के दर्शन और पूजन के लिए लंबी कतार में खड़े नजर आए. हर कोई साल की शुरुआत मां मुंडेश्वरी के आशीर्वाद से करना चाहता है, ताकि पूरा वर्ष शुभ और मंगलमय रहे.


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मां मुंडेश्वरी धाम की ख्याति केवल भारत में ही नहीं, बल्कि पूरी दुनिया में है. मान्यता है कि यहां जो भी मन्नत मांगी जाती है, वह अवश्य पूरी होती है. मंदिर में एक विशेष और अद्वितीय बलि प्रथा है, जहां बकरे की बलि अहिंसक तरीके से दी जाती है. इस प्रक्रिया में बकरे को अक्षत और फूल मारकर मूर्छित कर दिया जाता है. ऐसा प्रतीत होता है जैसे उसमें जान ही नहीं बची. कुछ समय बाद पुजारी जब मां का ध्यान करके फिर से अक्षत और फूल बकरे पर मारते हैं, तो वह बकरा जीवित हो उठता है. यह अद्भुत परंपरा दुनियाभर के श्रद्धालुओं के लिए आकर्षण का केंद्र है और इसे अन्यत्र कहीं नहीं देखा जा सकता.


मंदिर के पुजारी राधेश्याम झा बताते हैं कि नववर्ष पर मां मुंडेश्वरी धाम में लाखों की संख्या में श्रद्धालु दर्शन-पूजन के लिए आते हैं. मंदिर के अष्टकोणीय वास्तु को श्री यंत्र के आकार का माना जाता है और इसका धार्मिक महत्व अत्यधिक है. माता का नाम मुंडेश्वरी इसलिए पड़ा क्योंकि उन्होंने मुंड नामक राक्षस का वध किया था. माता का वर्णन 'दुर्गा सप्तशती' में भी मिलता है, जिससे उनकी धार्मिक महिमा और बढ़ जाती है.


श्रद्धालुओं का कहना है कि मां मुंडेश्वरी के दर्शन मात्र से उनकी सभी परेशानियां दूर हो जाती हैं. नववर्ष के इस शुभ अवसर पर परिवार और दोस्तों के साथ मंदिर आने वाले लोग यहां की सकारात्मक ऊर्जा और आध्यात्मिक शांति को महसूस करते हैं. नववर्ष पर माता का दर्शन करने के लिए यहां हर साल लाखों श्रद्धालु आते हैं. इस बार भी मंदिर परिसर में श्रद्धालुओं का जनसैलाब देखने को मिला. मां मुंडेश्वरी के प्रति लोगों की आस्था और मंदिर की अनोखी परंपराएं इसे विश्व प्रसिद्ध बनाती हैं.


इनपुट- मुकुल जायसवाल


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