Jharkhand: लातेहार के इस गांव के लोग वोट डालने के लिए तय करते है 5 किलोमीटर की दूरी, मतदान को लेकर ग्रामीण रहते काफी उत्साहित
Jharkhand News: मतदाताओं को जागरूक करने के लिए सरकार की ओर से कई तरह के कार्यक्रम चलाये जा रहे हैं. इसके बाद भी कई लोग वोट देने नहीं जाते, लेकिन झारखंड लातेहार का हेसलबार एक ऐसा गांव है. जहां ग्रामीण वोटिंग को लेकर काफी उत्साहित हैं.
लातेहारः Jharkhand News: मतदाताओं को जागरूक करने के लिए सरकार की ओर से कई तरह के कार्यक्रम चलाये जा रहे हैं. इसके बाद भी कई लोग वोट देने नहीं जाते, लेकिन झारखंड लातेहार का हेसलबार एक ऐसा गांव है. जहां ग्रामीण वोटिंग को लेकर काफी उत्साहित हैं. यहां के ग्रामीण गांव से 5 किलोमीटर दूर स्थित पोलिंग बूथ पर जाकर वोट डालते हैं.
वहीं ग्रामीणों का कहना है कि मतदान केंद्र तक पहुंचने में ग्रामीणों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ता है. गांव से मतदान केंद्र तक सड़क की स्थिति काफी खराब है. बूथ तक पहुंचने के बीच में दो नदियां भी आती हैं, जिन पर कोई पुल नहीं है. इसके बाद भी मतदाता पूरे उत्साह के साथ वोट डालने जाते हैं.
ग्रामीणों का कहना है कि अगर सड़क बन जाये और नदी पर पुल बन जाये तो यहां के ग्रामीणों को काफी सुविधा मिलेगी. चुनाव से पहले नेता और उनके कार्यकर्ता गांव आते हैं और ग्रामीणों को आश्वासन देते हैं. नदियों पर पुल बनाया जाएगा और सड़कें भी अच्छी बनाई जाएंगी, लेकिन मतदान खत्म होते ही नेता अपने वादे भूल जाते हैं. इसके बाद भी गांव के 80 फीसदी से ज्यादा मतदाता वोट देने के लिए 5 किलोमीटर की दूरी तय करते हैं.
हेसलबार गांव में अधिकतर आदिवासी समुदाय के लोग रहते हैं. गांव की कुल आबादी करीब 250 है. सुविधा के नाम पर गांव में बिजली और पानी की व्यवस्था की गयी है, लेकिन सड़क की हालत बेहद खराब है. गांव तक पहुंचने के लिए दो नदियां हैं. जिस पर पुलों का निर्माण नहीं कराया गया है. गर्मी के दिनों में ग्रामीण किसी तरह गांव से प्रखंड मुख्यालय तक का सफर तय करते हैं, लेकिन बरसात के मौसम में जब नदियों में बाढ़ आ जाती है तो ग्रामीण अपने गांवों तक ही सीमित हो जाते हैं.
सदर प्रखंड का हेसलबार गांव ग्रामीण समाज के लिए एक मिसाल है. कई समस्याओं का सामना करने के बावजूद यहां के ग्रामीण अनिवार्य रूप से वोट देने जाते हैं. सरकार और प्रशासन को भी चाहिए कि ऐसे गांवों के लोगों तक सरकारी सुविधाएं मुहैया कराए.
इनपुट- संजीव कुमार गिरि, लातेहार
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