Lok Sabha Election 2024: सरयू गांव के बदलाव की कहानी, एक वक्त था जब चुनावों के समय होता था खौफ का आलम, अब त्यौहार जैसा माहौल
Lok Sabha Election 2024: एक वक्त था जब लातेहार का नाम सुनकर ही नक्सली घटनाओं की तस्वीर आंखों के सामने उभरकर आती थी. चुनावों के वक्त तो खौफ, दहशत और कर्फ्यू का आलम रहता था लोग डर से अपने घरों में ही दुबके रहते थे. लेकिन आज का वक्त है जब लातेहार के इस गांव में चुनाव को लेकर त्यौहार जैसा माहौल है.
लातेहारः Lok Sabha Election 2024: एक वक्त था जब लातेहार का नाम सुनकर ही नक्सली घटनाओं की तस्वीर आंखों के सामने उभरकर आती थी. चुनावों के वक्त तो खौफ, दहशत और कर्फ्यू का आलम रहता था लोग डर से अपने घरों में ही दुबके रहते थे. लेकिन आज का वक्त है जब लातेहार के इस गांव में चुनाव को लेकर त्यौहार जैसा माहौल है. तो आइए आपको बताते है सरयू गांव में आए बदलाव की कहानी.
लातेहार का सरयू गांव बदलाव का एक जीता जागता उदाहरण है. यह गांव कभी नक्सलवाद की राजधानी के रूप में कुख्यात था. चुनाव आते ही गांव में रहने वाले लोग भयभीत हो जाते थे. लेकिन पुलिस प्रशासन, सरकार और आम लोगों के सामूहिक प्रयास से आज गांव की स्थिति बिल्कुल फिजा ही बदल चुकी है. अब चुनाव में इस इलाके के लोगों में त्यौहार जैसा उत्साह देखा जाता है.
लातेहार के सरयू और इसके आस-पास में बसे गांवों की कहानी किसी रोमांचक कहानी से कम नहीं है. एक दशक पूर्व की बात करें तो यह इलाका पूरी तरह नक्सलियों के कब्जे में था. नक्सली इसी गांव के आसपास में बसे जंगलों में बैठकर चुनाव बहिष्कार की रणनीति बनाते थे और यहीं से फरमान भी जारी करते थे. नक्सलियों के फरमान जारी होने के बाद ग्रामीण मतदान करने की बात तो दूर मतदान के बारे में सोचना भी मुनासिब नहीं समझते थे. स्थिति ऐसी थी कि कब चुनाव आया और कब चुनाव खत्म हो गया ग्रामीणों को पता भी नहीं चलता.
ग्रामीणों की मानें तो पहले चुनाव आने के बाद ग्रामीणों में भय का माहौल बन जाता था आज स्थिति ऐसी हो गई है कि यहां के लोग चुनाव को त्योहार के रूप में मानने लगे हैं. लोकसभा चुनाव को लेकर गांव में उत्साह बन चुका है. ग्रामीणों ने आगे बताया कि वर्तमान में चुनाव को लेकर लोगों में काफी उत्साह है. ग्रामीण बताते हैं कि अगर कुछ वर्ष पहले की बात करें तो यहां चुनाव के नाम से भी लोग डरते थे पर अब स्थिति बदल गई.
ग्रामीणों का आगे कहना है कि अब तो चुनाव को वे उत्सव के रूप में मनाते हैं. मतदान के एक माह पहले से ही चुनाव को लेकर ग्रामीणों का उत्साह चरम पर होता है. अब लोगों को सुरक्षा भी मिलती है, गांव में ही मतदान केंद्र बनाए जाने से मतदाताओं को काफी सुविधा भी मिलती है. इससे बड़ी संख्या में मतदाता वोटिंग भी करते हैं.
इनपुट- संजीव कुमार गिरि