Jamui Lok Sabha Seat Profile: बिहार की जमुई लोकसभा सीट का इतिहास महाभारत काल से पहले का है. जैन धर्म वालों के लिए भी ये क्षेत्र काफी महत्वपूर्ण है. जैन धर्म के 24वें र्तीथंकर भगवान महावीर को यहीं ज्ञान की प्राप्ति हुई थी. इसके अलावा जैन धर्म के नौवें र्तीथकर सविधिनाथ का जन्म स्थान जमुई के राकन्दी गांव में माना जाता है. इस क्षेत्र का संबंध गुप्त और पाल वंश के शासकों से भी है. चंदेल शासकों ने भी यहां काफी समय तक शासन किया था. 


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लोकसभा सीट के रूप में यह सीट वर्ष 2009 में अस्तित्व में आई थी और तब से लेकर आजतक यहां पर NDA उम्मीदवार को ही जीत हासिल हुई है. इस सीट से पहले सांसद चुनने का गौरव जेडीयू के भूदेव चौधरी को मिला. उस वक्त जेडीयू और बीजेपी का गठबंधन का था और दोनों ने साथ मिलकर चुनाव लड़ा था. भूदेव चौधरी ने आरजेडी के कद्दावर नेता श्याम रज्जाक को मात दी थी. 


जमुई अनुसूचित जाति के लिए सुरक्षित संसदीय क्षेत्र है. 3 जिलों के विधानसभा क्षेत्रों को मिलाकर जमुई लोकसभा क्षेत्र का गठन हुआ. 2019 के लोकसभा चुनाव के वक्त इस सीट पर तकरीबन साढ़े 15 लाख से ज्यादा वोटर थे, जिसमें 8,27,898 पुरुष और 7,22,284 महिला वोटर थे.   


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2014 में एनडीए में यह सीट लोजपा के हिस्से में आई थी और लोजपा संस्थापक स्व. रामविलास पासवान के बेटे चिराग पासवान जीते थे. 2019 की मोदी लहर में भी यहां से चिराग पासवान को सफलता मिली थी. खबर ये है कि  चिराग पासवान अब इस सीट को छोड़कर कहीं और से चुनाव लड़ने की योजना बना रहे हैं.