Begusarai Seat: कांग्रेस से कन्हैया कुमार तो BJP से गिरिराज सिंह सहित 3 दावेदाव! देखिए बेगूसराय के ताजा समीकरण
Begusarai Candidate: यहां की राजनीति भूमिहार समाज के इर्द-गिर्द घूमती रही है. पिछले 10 लोकसभा चुनावों में से 9 के विजयी उम्मीदवार इसी समाज से रहे हैं. हालांकि उनकी पार्टियां जरूर अलग-अलग रही हैं.
Begusarai Lok Sabha Seat Profile: लोकसभा चुनाव में अब ज्यादा वक्त नहीं बचा है. आने वाले महज 100 दिन के अंदर आपको नया सांसद चुनने का मौका मिलने वाला है. सभी दलों की ओर से अब अपने-अपने जिताऊ कैंडिडेट उतारने की तैयारी शुरू हो चुकी है. इस बार बिहार की बेगूसराय सीट काफी चर्चा में है. यहां से इस वक्त बीजेपी के फायरब्रांड नेता और केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह सांसद हैं. पिछली बार उन्होंने सीपीआई की टिकट पर उतरे कन्हैया कुमार को हराया था. कन्हैया कुमार इस वक्त कांग्रेस पार्टी में हैं. लिहाजा कांग्रेस की ओर से उनके उतरने की चर्चा सबसे ज्यादा है.
टिकट के लिए कौन-कौन दावेदार?
बेगूसराय सीट को मूल रूप से इस जिला को कम्युनिस्टों का गढ़ माना जाता रहा है और इसे मिनी मास्को के रूप मे पुकारा जाता है. अब तक के लोकसभा परिणाम मे आठ बार कांग्रेस, दो बार भाजपा, दो बार जदयू, एक बार कम्युनिस्ट, एक बार राष्ट्रीय जनता दल और एक बार निर्दलीय की जीत हुई है. 2014 में बीजेपी के दिवंगत नेता भोला सिंह और 2019 में गिरिराज सिंह ने जीत हासिल की थी. इस बार यहां से कांग्रेस की ओर से जेएनयू के पूर्व अध्यक्ष कन्हैया कुमार का नाम सबसे आगे चल रहा है. तो वहीं बीजेपी की ओर से केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह के अलावा राज्यसभा सांसद राकेश सिन्हा और रजनीश कुमार सिंह भी टिकट दावेदारों में शामिल हैं. सीपीआई से शत्रुघ्न प्रसाद सिंह और अवधेश राय बड़े दावेदार माने जा रहे हैं. आरजेडी से राजबशी महतो और तनवीर हसन के नाम की काफी चर्चा है.
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क्या हैं चुनावी मुद्दे?
हर साल आने वाली बाढ़ यहां की सबसे बड़ी समस्या है. नगर क्षेत्र में जलजमाव से लोग काफी दुखी रहते हैं. नगर की बढ़ती जनसंख्या के बीच सिकुड़ती सड़कों से लोगों को जाम की दिक्कत काफी सामना करना पड़ता है. टूटी सड़कें और उच्च शिक्षा के लिए यूनिवर्सिटी का नहीं होना आदि बड़े चुनावी मुद्दे हैं.
जातीय समीकरण और सामाजिक समीकरण
बेगूसराय लोकसभा सीट में भूमिहारों की संख्या करीब 4.75 लाख है. वहीं मुसलमानों की जनसंख्या 2.5 लाख के करीब बताई जा रही है. कुर्मी-कुशवाहा की दो लाख और यादवों की संख्या करीब 1.5 लाख है. जाति आधारित ये आंकड़े दर्शाते हैं कि यहां की राजनीति भूमिहार समाज के इर्द-गिर्द घूमती रही है. पिछले 10 लोकसभा चुनावों में से 9 के विजयी उम्मीदवार इसी समाज से रहे हैं. हालांकि उनकी पार्टियां जरूर अलग-अलग रही हैं.
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1980 से सिर्फ एक मुस्लिम सांसद बना
1980 से 2014 के बीच बेगूसराय सीट पर दस बार लोकसभा चुनाव हो चुके हैं. सिर्फ 2009 के चुनावों में ऐसा मौका आया जब बेगूसराय को एक मुस्लिम सांसद मिला. ये सांसद थे नीतीश कुमार की पार्टी जनता दल यूनाइटेड से डॉ. मुनाजिर हसन. 2014 के लोकसभा चुनावों में बेगूसराय की सीट भाजपा के खाते में गई थी. भाजपा के भोला सिंह को करीब 4.28 लाख वोट मिले थे, वहीं राजद के तनवीर हसन को 3.70 लाख वोट मिले थे. दोनों में करीब 58 हजार वोटों का अंतर था. वहीं सीपीआई के राजेंद्र प्रसाद सिंह को करीब 1.92 लाख वोट ही मिले थे.
रिपोर्ट- जितेंद्र कुमार