Kashyap Kashmir: गृह मंत्री अमित शाह ने एक किताब के विमोचन अवसर पर कश्मीर को लेकर कई बड़ी बातें कहीं. उन्होंने आतंकवाद के जड़ से सफाये की चर्चा करते हुए कश्यप का नाम लिया जिनके नाम से ही कश्मीर जाना जाता है. आखिर कौन थे कश्यप?
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गृह मंत्री अमित शाह ने कश्मीर से आतंकवाद के ईकोसिस्टम के सफाये की बात करते हुए इतिहास के पन्ने भी पलटे हैं. 'जम्मू-कश्मीर एंड लद्दाख थ्रू द एजेस' किताब के विमोचन कार्यक्रम में शाह ने गुरुवार को कहा कि हम जानते हैं कश्मीर को कश्यप की भूमि के नाम से जाना जाता है. शायद हो सकता है कि उनके नाम से ही कश्मीर का नाम पड़ा हो. ऐसे में लोगों के मन में यह सवाल उठने लगे कश्यप कौन थे?
कश्यप कौन थे?
कश्यप ऋषि, ब्रह्माजी के मानस पुत्र मरीचि के बेटे थे. इनकी मां का नाम कला था. कश्यप ऋषि की 17 पत्नियां बताई जाती हैं. इनमें से 13 पत्नियां दक्ष प्रजापति की बेटियां थीं. इनसे मानस पुत्रों का जन्म हुआ था.
जम्मू-कश्मीर और लद्दाख के इतिहास, संस्कृति और महत्त्व को दर्शाती 'जम्मू-कश्मीर एवं लद्दाख: सातत्य और संबद्धता का ऐतिहासिक वृत्तांत' पुस्तक के विमोचन कार्यक्रम से लाइव…
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कश्यप ऋषि ने कश्यप संहिता, स्मृति ग्रंथ जैसे कई ग्रंथों की रचना की. प्राचीन ग्रंथों में इस बात का जिक्र मिलता है कि कश्यप ऋषि ने कश्मीर में तपस्या की थी. ऐसे में मान्यता है कि कश्मीर नाम ऋषि कश्यप के नाम से ही आया हो और उसी नाम से नगर बसाया गया हो. कश्मीर के पहले राजा भी महर्षि कश्यप थे. उस समय घाटी में कश्यप समाज रहा करता था.
शाह ने कश्मीर पर क्या कहा
गृह मंत्री ने कश्मीर के शेष भारत के साथ संबंधों का जिक्र करते हुए कहा कि भारत दुनिया का एकमात्र ऐसा देश है, जो भू-सांस्कृतिक है. इसकी सीमाएं संस्कृति से बनती हैं. शाह ने कहा कि भारत को केवल भारतीय परिप्रेक्ष्य से ही समझा जा सकता है, भू-राजनीतिक परिप्रेक्ष्य से नहीं. उन्होंने कहा कि ‘सिल्क रूट’ से लेकर मध्य एशिया तक और शंकराचार्य मंदिर से लेकर हेमिस मठ तक... व्यापार से लेकर अध्यात्म तक, दोनों का मजबूत आधार कश्मीर की संस्कृति में मौजूद है.
उन्होंने कहा कि ‘जम्मू एंड कश्मीर एंड लद्दाख : थ्रू द एजेस’ श्यामा प्रसाद मुखर्जी के इस कथन को साबित करती है कि जम्मू-कश्मीर न केवल भारत का हिस्सा है, बल्कि भारत की आत्मा का अभिन्न अंग भी है. उन्होंने कहा कि इसने देश में प्रचलित मिथकों को तोड़ा है और इतिहास को सत्य एवं प्रमाण के साथ प्रस्तुत किया है, जो एक बड़ी उपलब्धि है.
मोदी सरकार ने जम्मू-कश्मीर में न केवल आतंकवाद को रोकने में सफलता पाई, बल्कि आतंकवाद के पूरे इकोसिस्टम को भी समाप्त किया। pic.twitter.com/wCtW5jtC0v
— Amit Shah (@AmitShah) January 2, 2025
गृह मंत्री ने कहा कि शासकों को खुश करने के लिए लिखे गए इतिहास से मुक्ति पाने का समय आ गया है और अब समय आ गया है कि तथ्यों और साक्ष्यों के साथ भारत का इतिहास लिखकर दुनिया के सामने पेश किया जाए. उन्होंने कहा कि भारत के कोने-कोने के हजारों साल पुराने इतिहास ने विश्व सभ्यता को समृद्ध किया है, लेकिन गुलामी के कालखंड में इसे भुलाने का घृणित प्रयास किया गया.
शाह ने कहा कि पुस्तक साबित करती है कि भारत के कोने-कोने में बिखरी संस्कृति, भाषाएं, लिपियां, आध्यात्मिक विचार, व्यापार और वाणिज्य, 10,000 साल तक कश्मीर में मौजूद थे और वहीं से पूरे देश में पहुंचे.
अनुच्छेद-370 ने कश्मीर के युवाओं के मन में अलगाववाद के बीज बोये और नरेन्द्र मोदी सरकार ने घाटी में न केवल आतंकवाद का, बल्कि आतंकवाद के पूरे ढांचे का भी खात्मा कर दिया. शाह ने कहा कि अनुच्छेद-370 और अनुच्छेद-35ए, दोनों को पांच अगस्त, 2019 को निरस्त कर दिया गया था. उन्होंने कहा कि ये दोनों कश्मीर के भारत में पूर्ण एकीकरण के रास्ते में प्रमुख बाधाएं थीं.