Bihar Lok Sabha Election 2024: बिहार की राजनीति बीते कुछ दशकों से नीतीश कुमार और लालू यादव के ही इर्द-गिर्द ही चल रही है. हालांकि, अब दोनों दिग्गज नेताओं पर उम्र का असर देखने को मिलने लगा है. शायद यही वजह है कि दोनों की जुबान अब बेलगाम हो चुकी है. लालू तो हमेशा से ही अपने चुटीले अंदाज के लिए जाने जाते थे, लेकिन अब नीतीश कुमार भी बिगड़े बोल वाले नेताओं में आगे खड़े दिखाई दे रहे हैं. जवानी में बड़ा सोच-समझकर बोलने वाले नीतीश कुमार की जुबान भी अब बेलगाम हो चुकी है. लोकसभा चुनाव के प्रेशर में नीतीश एक बार फिर से भाषा की मर्यादा लांघ गए. दरअसल, नवगछिया रैली में सीएम नीतीश कुमार राजद अध्यक्ष लालू यादव पर निजी हमला कर बैठे और उनके ज्यादा बच्चे पैदा करने पर सवाल उठा बैठे.


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लालू यादव के शासनकाल पर हमला करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि बिहार में एक समय ऐसा भी था जब कानून का राज खत्म हो चुका था. मैंने बिहार के करोड़ों लोगों को जंगल राज से मुक्ति दिलाते हुए कानून का राज स्थापित किया है. मुख्यमंत्री ने आगे कहा कि लालू राबड़ी को इतना ज्यादा बाल बच्चा पैदा करना चाहिए? कोई इतना बच्चा पैदा करता है क्या? कुछ इसी तरह से लालू यादव ने पीएम मोदी पर व्यक्तिगत टिप्पणी करते हुए उनके परिवार पर सवाल उठाए थे. बीजेपी ने इसको बड़ा मुद्दा बना दिया था. बीजेपी के सभी नेताओं ने खुद को मोदी के परिवार से जोड़ते हुए अपने सोशल मीडिया अकाउंट में 'मोदी का परिवार' जोड़ लिया है.


ये पहली बार नहीं है जब नीतीश कुमार ने दिल चीरने वाले शब्दभेदी बाण चलाए हों. बीते कुछ वर्षों में वह ऐसा कई बार कर चुके हैं. हाल ही में मुख्यमंत्री जोश-जोश में एनडीए को 400 सीटों की जगह 4000 सीटें जीतने की बात बोल गए थे. इस रैली में मंच पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी मौजूद थे. राजद की ओर से इस पर सीएम की जमकर खिंचाई की थी. उनकी लड़खड़ाती जुबान से कभी उन पर अभद्र भाषा इस्तेमाल करने के आरोप लगे तो कभी किसी ने कहा यादाश्त साथ नहीं दे रही है. इतना ही नहीं मुख्यमंत्री ने अपनी इस आदत के कारण कभी-कभी तो श्रद्धांजलि सभा को हास्य की भेंट चढ़ा दिया. 


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पिछले साल ही जनसंख्या नियंत्रण पर भाषण देते हुए मुख्यमंत्री सदन में महिलाओं को लेकर इतनी अभद्र टिप्पणी कर बैठे थे, जिसकी काफी आलोचना हुई थी. उस वक्त विपक्ष में बैठी बीजेपी ने इसपर मुख्यमंत्री के खिलाफ मोर्चा खोल दिया था. वहीं तत्कालीन डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव ने मुख्यमंत्री के समर्थन किया था. हालांकि, बात ज्यादा बढ़ने पर मुख्यमंत्री ने अपने बयान पर सार्वजनिक रूप से माफी मांग ली थी. अपने बयान पर माफी मांगते हुए सीएम नीतीश कुमार ने कहा था कि मैं माफी मांगने को तैयार हूं. इतना ही नहीं मुख्यमंत्री नीतीश कुमार जब महागठबंधन का हिस्सा थे तब उन्होंने बिहार विधानसभा के अंदर ही पूर्व सीएम जीतन राम मांझी पर काफी आपत्तिजनक टिप्पणी कर दी थी, जिसे लेकर बिहार की सियासत में भूचाल आ गया था. 


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पिछड़े वर्ग के लोगों के लिए आरक्षण को बढ़ाने वाले विधेयक पर चर्चा के दौरान नीतीश कुमार और जीतन राम मांझी के बीच तीखी बहस हो गई थी. इसी दौरान नीतीश कुमार ने जीतन राम मांझी को भला बुरा कहा था. महागठबंधन की सरकार के दौरान ही मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने अशोक चौधरी के पिता स्व. महावीर चौधरी की 95वीं जयंती पर आयोजित शोक सभा को हास्य में बदल दिया था. तब बीजेपी सहित विपक्ष के तमाम नेताओं ने राजद पर मुख्यमंत्री को दवाएं दिए जाने का आरोप लगाया था.