Bihar Congress Candidates: कांग्रेस की केंद्रीय चुनाव समिति ने बिहार की सभी 9 सीटों के लिए उम्मीदवारों के नाम फाइनल कर लिए हैं और जल्द ही इसकी घोषणा भी हो सकती है.
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Bihar Congress: लोकसभा चुनाव को लेकर बिहार में आखिरकार महागठबंधन के अंदर सीटों का बंटवारा हो गया. राजद अध्यक्ष लालू यादव ने सीट शेयरिंग का जो फॉर्मूला बनाया था, उसे ही लागू किया गया है. बिहार की कुल 40 सीटों में महागठबंधन की सबसे बड़ी पार्टी राजद सबसे ज्यादा 26 सीटों पर चुनाव लड़ेगी. वहीं कांग्रेस को 9 और लेफ्ट को 5 सीटें मिली हैं. लेफ्ट की पांच सीटों में से माले 3, CPI बेगूसराय और CPM खगड़िया से चुनाव लड़ेगी. सीटों का बंटवारा होने के बाद अब कांग्रेस ने उम्मीदवारों के नाम को अंतिम रूप देना शुरू कर दिया है. कांग्रेस आलाकमान का पूरा फोकस जिताऊ उम्मीदवारों को उतारने पर लगा हुआ है. इसके लिए कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने रविवार (31 मार्च) को दिल्ली में बिहार कांग्रेस के नेताओं संग बैठक की. इस बैठक में बिहार की सीट पर प्रत्याशियों के नाम पर चर्चा की गई. सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक, कांग्रेस की केंद्रीय चुनाव समिति ने बिहार की सभी 9 सीटों के लिए उम्मीदवारों के नाम फाइनल कर लिए हैं और जल्द ही इसकी घोषणा भी हो सकती है.
कांग्रेस के संभावित उम्मीदवार
बता दें कि महागठबंधन के अंदर कांग्रेस को बिहार की सिर्फ 9 सीटें ही मिली हैं. इनमें कटिहार, किशनगंज, भागलपुर, समस्तीपुर, सासाराम, पटना साहिब, पश्चिमी चंपारण, मुजफ्फरपुर, महराजगंज शामिल हैं. सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, पार्टी इस बार किशनगंज से वर्तमान सांसद मोहम्मद जावेद, भागलपुर से विधायक अजीत शर्मा, कटिहार से तारिक अनवर और पटना साहिब सीट पर राजकुमार राजन के नाम पर विचार कर रही है. सासाराम सीट से मीरा कुमार के बेटे अंशुल अभिजीत को कांग्रेस का टिकट मिल सकता है. वहीं समस्तीपुर सीट से पूर्व आईपीएस वीके रवि और अशोक राम दावेदार बताए जा रहे हैं. मुजफ्फरपुर से विधायक विजेंद्र चौधरी और महाराजगंज से बिहार प्रदेश अध्यक्ष अखिलेश सिंह के बेटे आकाश सिंह के नाम की चर्चा भी की जा रही है.
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उधर सीट बंटवारे से पप्पू यादव और कन्हैया कुमार जैसे कांग्रेस पार्टी के तमाम बड़े चेहरे बेटिकट हो चुके हैं. पप्पू यादव लगातार कांग्रेस आलाकमान और लालू यादव से अपना निर्णय बदलने की गुहार लगा रहे हैं, लेकिन उनकी पुकार को कोई सुन नहीं रहा है. जिससे निराश होकर पप्पू यादव और प्रवेश मिश्रा जैसे नेता अब निर्दलीय ताल ठोंकने की तैयारी कर रहे हैं. वहीं सियासी जानकारों के मुताबिक, लालू यादव ने ये जानबूझकर किया है. उनका मानना है कि लालू यादव कभी नहीं चाहेंगे कि बिहार कांग्रेस को कोई भी बड़ा नेता मिले, क्योंकि ऐसा हो गया तो भविष्य में उनके बेटे तेजस्वी के सीएम बनाने के सपने में अड़ंगा लग सकता है.