Bihar Political Crisis: अभी तो महागठबंधन सरकार में कांग्रेस अपने हक की मांग ही कर रही थी. अभी तो इंडिया गठबंधन बनकर तैयार ही हुआ था और कांग्रेस का जोश हाई था. अभी तो राहुल गांधी की भारत जोड़ो न्याय यात्रा बिहार में प्रवेश करने की तैयारी में ही थी. ऐसे में कांग्रेस ने कभी सोचा भी नहीं होगा कि बिहार में जनवरी की ठंड में कुछ ऐसा सियासी तापमान बढ़ेगा कि प्रदेश की सियासत का पारा ही इस वजह से चढ़ जाएगा. महागठबंधन के दल इस चढ़े हुए पारे की वजह से इस हाड़ कंपाती ठंड में पसीने से तर-ब-तर हो जाएंगे. दरअसल बिहार में जिस तरह से सियासी पिक्चर बदली है उसमें सबसे ज्यादा अनिश्चितता के दौर में कोई घिरा है तो वह कांग्रेस है. राजद के विधायक पार्टी के प्रति समर्पित हैं. लेकिन, कांग्रेस क्या करे, कुछ ऐसे ही सियासी हालात में 2018 में उसके 4 नेता जेडीयू का दामन थाम चुके थे. इस बार उन्हीं में से एक अशोक चौधरी ने फिल्डिंग लगाई है और इस बार जदयू कांग्रेस के 12 से ज्यादा विधायकों के संपर्क में होने की बात कर रही है. दूसरी तरफ बिहार कांग्रेस अध्यक्ष अखिलेश सिंह का दावा लोगों को चौंका रहा है. वह अपनी पार्टी के विधायक बचाएंगे कि भाजपा के विधायक तोड़ेंगे. दरअसल वह दावा कर रहे हैं कि भाजपा के 20 विधायक उनके संपर्क में हैं. 


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वह अभी भी सपने में जी रहे हैं और दावा कर रहे हैं कि प्रदेश में महागठबंधन की सरकार है. महागठबंधन की सभी पार्टियां तो अभी विधानसभा सत्र को लेकर बैठक करने में लगी है. अखिलेश का यह दावा ऐसा है मानो उनको पता ही नहीं हो कि अंधेरा कब का घना हो गया है लेकिन वह कमरे में बंद हों और खिड़कियों को बंद करके भी दिन के उजाले का दावा कर रहे हों. 


उनको तो अब भी लग रहा है कि पूर्णिया में जो राहुल गांधी की न्याय यात्रा की रैली होगी उसमें राहुल गांधी के साथ मंच पर नीतीश कुमार होंगे और वह अपनी खुली आंखों से यह नजरा देखेंगे. हालांकि वह भाजपा के 20 विधायकों  से संपर्क के दावे के साथ एक सुझबूझ वाली सियासी बात कह गए कि चुनाव का समय है ऐसे राजनीतिक उठापटक तो होते रहेंगे. वह तो दावा तक कर गए कि बिहार में महागठबंधन की सरकार है और आगे भी रहेगी. 


वह पूर्णिया उसी बैठक के लिए जा रहे थे जो उन्होंने पार्टी के विधायकों के लिए बुलाई थी. दरअसल इस बैठक को लेकर सूत्रों के हवाले से खबर आई कि कांग्रेस के बिहार में जो 19 विधायक हैं वह सभी के सभी जदयू के संपर्क में हैं. पूर्णिया में बुलाई गई कांग्रेस विधायकों की बैठक से बड़ी संख्या में पार्टी के विधायक नदारद थे.  2018 में पार्टी के विधायकों को जदयू के साथ लाने का खेला जो अशोक चौधरी ने खेला था कांग्रेस को वैसा ही डर अब सता रहा है. ऐसे में यह सियासी चर्चा का विषय बन गया है. 


अशोक चौधरी अगर पिछली बार की तरह इस बार भी कांग्रेस के विधायकों को जदयू की सदस्यता दिलाने में सफल रहे तो राहुल गांधी के बिहार पहुंचने से पहले यह उनके लिए झटके से कम नहीं होगा. वहीं महागठबंधन के दलों के लिए भी यह सियासी जहर के समान होगा. ऐसे में बिहार में राहुल गांधी की न्याय यात्रा के प्रवेश से पहले पार्टी में जो टूट होगी वह उनके लिए बुरे सपने से कम नहीं होगा. ऐसे में अखिलेश सिंह के लिए यह सब सपने जैसा ही लग रहा है वह समझ नहीं पा रहे हैं कि वह भाजपा को तोड़ेंगे या उनकी पार्टी खुद टूटेगी.