Bihar Lok Sabha Election 2024: लोकसभा चुनाव अब अपने अंतिम पड़ाव पर है. अंतिम चरण में 01 जून को वोटिंग होगी. आखिरी और 7वें चरण में बिहार की 8 सीटों पर वोट डालें जाएंगे. इस फेज में जिन सीटों पर मतदान होना है उनमें- नालंदा, पटना साहिब, पाटलिपुत्र, आरा, बक्सर, सासाराम, काराकाट और जहानाबाद लोकसभा सीट शामिल हैं. इसके बाद सभी को 04 जून का इंतजार रहेगा, क्योंकि इस दिन नतीजे सामने आएंगे. इस चुनाव में बिहार के अंदर मुख्य रूप से मुकाबला एनडीए और महागठबंधन के बीच माना जा रहा है. पूरे चुनाव के दौरान दोनों गठबंधनों के नेताओं ने मतदाताओं को आकर्षित करने में कोई कोर-कसर नहीं छोड़ी. एनडीए की ओर से चुनावी प्रचार की कमान जहां पीएम मोदी ने संभाल रखी थी, वहीं महागठबंधन को पूरी तरह से तेजस्वी यादव लीड कर रहे थे. 


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फिल्मी अंदाज में अगर इस चुनाव के सफर को देखें तो फिल्म में लीड रोल की भूमिका में पीएम मोदी आगे रहे तो एनडीए के अन्य नेताओं ने साइड हीरो का बेहतरीन रोल प्ले किया. सभी को उनका किरदार पहले से समझा दिया गया था और सभी ने उसी के अनुसार रोल प्ले किया. वहीं महागठबंधन में तेजस्वी अकेले पूरी कहानी को कैप्चर करते दिखे. उन्होंने अपनी भूमिका को मजबूत दिखाने के लिए किसी और किरदार की एंट्री ही नहीं होने दी और मुकेश सहनी को अपने बॉडी डबल के तौर इस्तेमाल किया. अब इसे राजनीकि भाषा में कहें तो तेजस्वी यादव ने इस चुनाव में कुल 251 सभाएं कीं और महागठबंधन प्रत्याशियों के लिए वोट मांगे. 19 अप्रैल से 1 जून तक के मतदान के दौरान राहुल गांधी केवल 2 बार बिहार के दौरे पर आएऔर वामपंथी दलों का कोई भी बड़ा नेता बिहार में रैली करने नहीं आया. तेजस्वी यादव खुद मुकेश साहनी के साथ पूरे बिहार में घूमते रहे.


एनडीए की ओर से पीएम मोदी ने अकेले बिहार में 15 रैलियां की और पटना में एक रोडशो भी किया. बिहार में किसी भी प्रधानमंत्री की ओर से किया गया उनका पहला रोडशो था. बता दें कि बिहार में लोकसभा की 40 सीटों में से बीजेपी 17 सीटों पर चुनाव लड़ रही है. लेकिन पीएम ने बीजेपी उम्मीदवारों के समर्थन में 9 और सहयोगी दलों के उम्मीदवारों के लिए 6 जनसभाएं की हैं. पीएम मोदी ने 4 अप्रैल को जमुई लोकसभा क्षेत्र से बिहार में अपने चुनावी अभियान की शुरुआत की थी और 26 मई को काराकाट लोकसभा सीट पर समापन किया. पूरे देश को साधने के चक्कर में बिहार की 25 सीटों पर प्रधानमंत्री जा नहीं सके. 


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वहीं राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि पीएम की रैली को काफी सोच-समझकर और आंतरिक सर्वे कराने के बाद ही प्लान किया गया होगा. राजनीतिक विशेषज्ञों के अनुसार, बीजेपी जमीनी सच्चाई को लेकर ही अपनी रणनीति तैयार करती है. चुनाव से पहले पार्टी कई तरह का सर्वे करवाती है. इस बार भी लोकसभा चुनाव से पहले लोकसभा सीटों की क्या स्थिति है उस पर सर्वे करवाई होगी और उसके रिपोर्ट के आधार पर ही प्रधानमंत्री के कार्यक्रम तय हुए होंगे. प्रधानमंत्री को स्ट्रेटजी के तहत उन लोकसभा सीटों पर बुलाया गया है जहां कांटे की लड़ाई है या फिर वह सीट एनडीए के लिए महत्वपूर्ण है. हालांकि, एनडीए उम्मीदवारों में उनकी जनसभा कराने के लिए उत्सुकता काफी रही. 


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एनडीए के अन्य नेताओं ने भी अपना पूरा जोर लगाया. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने इस चुनाव में 72 जनसभाएं की. उन्होंने 12 अप्रैल को नवादा लोकसभा क्षेत्र के वारसलीगंज से अपनी चुनावी अभियान की शुरुआत की थी. मुख्यमंत्री के लिए चुनाव प्रचार के लिए विशेष वाहन तैयार करवाया गया था. बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष और डिप्टी सीएम सम्राट चौधरी ने 114 रैलियों को संबोधित किया है. लोजपा (रामविलास) के अध्यक्ष चिराग पासवान और हम के संरक्षक जीतन राम मांझी ने भी अपना पूरा जोर लगाया.