न मंत्रिमंडल विस्तार और न ही सीट शेयरिंग, एनडीए को बीच मंझधार में छोड़ नीतीश कुमार लंदन के लिए रवाना
Bihar Politics: नीतीश कुमार की नई सरकार को बने डेढ़ महीने होने वाले हैं पर अभी तक मंत्रिमंडल विस्तार नहीं हुआ है. बिहार की 13 करोड़ की आबादी केवल 8 मंत्रियों के भरोसे बैठी है. चुनावी समय है और आदर्श चुनाव आचार संहिता लागू होने के डर से कई काम जल्दी जल्दी निपटाने हैं पर 8 मंत्री कितनी काम निपटा पाएंगे.
पटनाः बिहार में नीतीश कुमार की नई सरकार को बने डेढ़ महीने होने वाले हैं पर अभी तक मंत्रिमंडल विस्तार नहीं हुआ है. बिहार की 13 करोड़ की आबादी केवल 8 मंत्रियों के भरोसे बैठी है. चुनावी समय है और आदर्श चुनाव आचार संहिता लागू होने के डर से कई काम जल्दी जल्दी निपटाने हैं पर 8 मंत्री कितनी काम निपटा पाएंगे. हाल फिलहाल मंत्रिमंडल विस्तार होने की कोई संभावना भी नहीं दिख रही है, क्योंकि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार लंदन के लिए रवाना हो चुके हैं. मंत्रिमंडल विस्तार के अलावा लोकसभा चुनाव के लिए एनडीए में सीट शेयरिंग भी अभी अधर में है. भारतीय जनता पार्टी ने पूरे देश में 195 उम्मीदवारों का ऐलान कर चुकी है और उसकी दूसरी सूची भी आजकल में जारी हो सकती है पर इससे बिहार अछूता रहा है. पड़ोसी राज्य झारखंड के 11 प्रत्याशियों का ऐलान हो चुका है लेकिन बिहार में एक भी उम्मीदवार का अभी ऐलान नहीं हुआ है. अब नीतीश कुमार की वापसी के बाद ही मंत्रिमंडल विस्तार और सीट शेयरिंग पर फाइनल फैसला हो सकता है. बता दें कि नीतीश कुमार एक सप्ताह के लिए लंदन के लिए निकले हैं.
लंदन यात्रा के चलते ही पीएम मोदी की रैली में सीएम नीतीश कुमार शामिल नहीं हो पाए थे और उनकी जगह शिक्षा मंत्री विजय कुमार चौधरी ने शिरकत की थी. हाल ही में नीतीश कुमार ने पटना के रीजनल पासपोर्ट कार्यालय में अपना पासपोर्ट रिन्यू कराया था और गुरुवार को वे दिल्ली से लंदन की फ्लाइट पकड़ने वाले हैं. पटना से वे बुधवार शाम को ही निकल चुके थे, जिस कारण पीएम मोदी की रैली में शामिल नहीं हो पाए थे. नीतीश कुमार के साथ राज्यसभा सदस्य संजय कुमार झा भी गए हैं. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार लंदन में बनी साइंस सिटी का दौरा करने वाले हैं. उनकी यात्रा ऐसे समय में हो रही है, जब बिहार में मंत्रिमंडल विस्तार पेंडिंग है और लोकसभा चुनाव के लिए एनडीए में सीट शेयरिंग भी नहीं हो पाई है. पिछले कुछ दिनों से चिराग पासवान नाराज बताए जा रहे हैं और उपेंद्र कुशवाहा भी पीएम मोदी की रैली से दूर ही रहे थे.
इस बीच महागठबंधन की ओर से चिराग पासवान की पार्टी को बड़ा आफर दिया गया है. महागठबंधन ने चिराग पासवान को 7 सीटों पर चुनाव लड़ने का आफर दिया है. हालांकि चिराग पासवान ने अभी तक कोई अंतिम फैसला नहीं लिया है और उनकी पार्टी के अधिकांश वरिष्ठ नेता एनडीए के साथ रहकर ही चुनाव लड़ने के मूड में हैं. 2019 के लोकसभा चुनाव में लोजपा ने सभी 6 सीटें जीत ली थीं और इस बार भी एनडीए में उन्हें 6 सीटें आफर की जा रही हैं लेकिन शर्त यह है कि उन्हें यह 6 सीटें अपने चाचा पशुपति कुमार पारस की पार्टी के साथ बांटने होंगे. चिराग पासवान को यही बात नागवार गुजर रही है. चिराग पासवान का दावा है कि भले ही उनकी पार्टी टूट गई हो पर लोजपा के वोटर अभी भी उन्हीं के साथ हैं.
चिराग पासवान की दूसरी टीस यह भी है कि उन्हें उनके पिता रामविलास पासवान की परंपरागत सीट हाजीपुर से चुनाव लड़ने को लेकर कोई अंतिम फैसला नहीं लिया जा रहा है. अभी इस सीट से पशुपति कुमार पारस सांसद हैं और वे इस सीट को छोड़ना नहीं चाहते हैं. अगर चिराग पासवान हाजीपुर से महागठबंधन की ओर से चुनाव मैदान में उतरते हैं तो यह एनडीए के लिए और खासतौर से पशुपति कुमार पारस के लिए मुश्किल भरा हो सकता है.
बात करें उपेंद्र कुशवाहा की तो वे भी नाराज बताए जा रहे हैं. 2014 में वे एनडीए में थे और उन्हें 3 सीटें दी गई थीं और तीनों पर कुशवाहा की पार्टी ने जीत हासिल की थी. वे इस बार भी वहीं 3 सीटें मांग रहे हैं. दिक्कत की बात यह है कि ये सभी 3 सीटें इस समय जेडीयू के खाते में है और 2019 के चुनाव में जेडीयू ने इन तीनों सीटों से जीत हासिल की थी. ऐसे में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार लंदन जाना रणनीतिक रूप से कई सवाल खड़े करता है. ऐसे समय में जब बिहार को मंत्रिमंडल विस्तार की जरूरत है और एनडीए में सीट शेयरिंग होनी है, नीतीश कुमार का लंदन जाना आगे चलकर मुश्किल भरा हो सकता है.
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