Bihar Lok Sabha Election Result 2024 : लोकसभा चुनाव 2024 भाजपा के ओवर कांफिडेंस के रूप में तो जाना जाएगा, लेकिन इसके साथ ही इस बात के लिए भी जाना जाएगा कि भाजपा ने खासतौर से बिहार में एक बहुत ही दूरदर्शितापूर्ण काम किया था. भाजपा ने लोकसभा चुनाव घोषित होने से पहले ही नीतीश कुमार को विपक्षी पाले में से खींचकर एनडीए के बैनर तले ले लिया था. आज उस फैसले का फायदा एनडीए खासतौर से भाजपा को होता दिख रहा है. लोकसभा चुनाव 2024 में भाजपा को बहुमत मिलता नहीं दिख रहा है लेकिन एनडीए बहुमत के पार जाता दिख रहा है. ऐसे में एक सवाल उठता है कि अगर भाजपा नीतीश कुमार और उनकी पार्टी को वापस एनडीए में न लाती तो क्या होता. शायद आज एनडीए की जगह इंडिया होता और इंडिया की जगह एनडीए. 


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बिहार विधानसभा चुनाव 2020 में एनडीए को गठबंधन मिला था. भाजपा दूसरे सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी थी और राजद नंबर वन पार्टी बनी थी. नीतीश कुमार की पार्टी जेडीयू को तीसरे नंबर से संतोष करना पड़ा था. नीतीश कुमार और उनकी पार्टी को इस बात का बड़ा मलाल था कि वह विधानसभा में तीसरे नंबर की पार्टी बन गई है. कभी वह अपने बूते बहुमत में होती थी. भाजपा ने सुशील कुमार मोदी की जगह तारकिशोर प्रसाद और रेणु देवी को डिप्टी सीएम बनाया था और नीतीश कुमार पर एक तरह से दबाव कायम करने की कोशिश की जा रही थी. 


जुलाई 2022 में नीतीश कुमार ने अचानक एनडीए से नाता तोड़ लिया और राजद के अलावा कांग्रेस और वामदलों के साथ मिलकर महागठबंधन सरकार के मुख्यमंत्री बन गए थे. कुछ समय तो सरकार ठीक चली पर बाद में वहां भी खटपट शुरू हो गई. जातीय जनगणना और शिक्षकों की भर्ती नीतीश कुमार और तेजस्वी यादव की सरकार के समय ही हुई, जिसका श्रेय लेने को लेकर नीतीश कुमार खफा होते चले गए. तेजस्वी यादव और राजद की ओर से शिक्षकों की भर्ती और जातीय जनगणना का श्रेय तेजस्वी यादव को दिया जाने लगा तो नीतीश कुमार ने कन्नी काट ली और 28 जनवरी 2024 को वापस एनडीए में आ गए. 


यह दिन लोकसभा चुनाव के लिहाज से टर्निंग प्वाइंट साबित हुआ. आज अगर नीतीश कुमार इंडिया से न निकले होते तो सोचिए कि रिजल्ट कैसा होता. इंडी गठबंधन इंटैक्ट रहता तो हो सकता है कि आज एनडीए की जगह इंडिया को बहुमत मिलता और इंडिया की जगह एनडीए विपक्षी गठबंधन बन जाता. इस तरह विपक्षी गठबंधन की एक गलती से नीतीश कुमार गठबंधन से बाहर हो गए और एनडीए के हो लिए. आज विपक्षी दल और खासतौर से कांग्रेस और राजद अपने फैसले पर पछता रहे होंगे कि कहां से कहां नीतीश कुमार को गठबंधन से जाने दिया गया.


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