पटना: बिहार में नीतीश कुमार के पक्ष में 129 वोट पड़े और वे विश्वास मत जीत गए. इस तरह 9वीं बार मुख्यमंत्री बने नीतीश कुमार अपनी सरकार बचा ले गए. यह बात जितनी सरलता से कही जा रही है, उतनी सरल है नहीं. नीतीश कुमार यूं ही सफल नहीं हुए सरकार बचाने में, फ्लोर टेस्ट की पल पल की गतिविधियों पर भाजपा आलाकमान ने नजर रखी हुई थी. ​एक तरफ केंद्रीय गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय, भाजपा के राष्ट्रीय सचिव ऋतुराज सिन्हा और बिहार भाजपा प्रभारी विनोद तावड़े की पैनी नजर विश्वास मत की तरफ थी. जीतनराम मांझी को भी संपर्क में रखा गया था, क्योंकि हम को लेकर लगातार सवाल उठ रहे थे कि वह किस तरह हैं, यह क्लीयर नहीं हो पा रहा है, लेकिन अंत में सब कुछ सही हुआ और भाजपा आलाकमान तभी निश्चिंत हुआ, जब नीतीश कुमार के पक्ष में 129 नंबर आ गए.


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नीतीश कुमार के एनडीए में शामिल होने से पहले से भाजपा आलाकमान सक्रिय है और राज्य की राजनीतिक गतिविधियों पर पैनी नजर रखे हुए है. भले ही केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह पिछले साल एक सुर में यह कहते रहे कि नीतीश कुमार को अब एनडीए में एंट्री नहीं मिलने वाली है, लेकिन पूर्वी क्षेत्रीय परिषद की बैठक के बाद से अमित शाह का भी नीतीश कुमार को लेकर रुख बदल गया और नीतीश कुमार की पार्टी के नेताओं का रुख भी अमित शाह और भाजपा के प्रति दूजा हो गया. 


दोनों दलों ने संकेत दे दिया कि वे एक दूसरे के खिलाफ तीखी टिप्पणी नहीं कर रहे हैं. भाजपा की स्थानीय प्रदेश ईकाई भले यह कहती रही कि वह नीतीश कुमार को सीएम के रूप में स्वीकार नहीं करेगी पर आलाकमान ने नीतीश कुमार से सहजता बरतने का सख्त संदेश दिया. उसके बाद प्रदेश नेतृत्व के रुख में भी सरलता आई और बात पटरी पर आ पाई. उसके बाद से लगातार भाजपा आलाकमान की नजर बिहार प्रदेश की राजनीतिक गतिविधियों पर रही है और फ्लोर टेस्ट को लेकर भी पार्टी नेतृत्व पूरी तरह सजग रहा.


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