पटनाः NDA Seat Sharing: एक तरफ बिहार एनडीए ने सबसे पहले सीट शेयरिंग कर प्रतिद्वंद्वी महागठबंधन पर मनोवैज्ञानिक बढ़त हासिल कर ली है, वहीं सीट शेयरिंग के बाद अब विवाद भी गहराते जा रहे हैं. एक तरफ पशुपति कुमार पारस ने गठबंधन में एक भी सीट न मिलने के विरोध में मोदी सरकार से इस्तीफा दे दिया है, वहीं राष्ट्रीय लोक मोर्चा के नेता उपेंद्र कुशवाहा के भी नाराज होने की खबर आ रही है. बताया जा रहा है कि केवल 1 सीट मिलने से उपेंद्र कुशवाहा नाराज हैं. भाजपा आलाकमान उपेंद्र कुशवाहा की नाराजगी को लेकर सतर्क है, तभी तो बिहार के प्रभारी महासचिव विनोद तावड़े मंगलवार को उपेंद्र कुशवाहा से मिलने पहुंचे. इन दोनों नेताओं के बीच क्या बातचीत हुई, इस बारे में अभी डिटेल नहीं मिल पाया है, लेकिन माना जा रहा है कि तावड़े ने भाजपा आला नेताओं का संदेश कुशवाहा तक पहुंचा दिया है.


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बताया जा रहा है कि उपेंद्र कुशवाहा ने पहले 3 और फिर 2 सीटों की डिमांड की थी. कुशवाहा चाहते थे कि काराकाट के साथ उन्हें सीतामढ़ी या फिर सुपौल में से कोई एक सीट दे दी जाए, लेकिन सीट शेयरिंग की घोषणा हुई तो उनकी मांग एक तरह से अनसुनी कर दी गई और उन्हें केवल काराकाट के रूप में एक सीट ही दी गई. बताया जा रहा है कि सीट शेयरिंग के मौके पर पर नाराजगी के कारण ही रालोमो का कोई भी प्रतिनिधि मौजूद नहीं था. 


सीट शेयरिंग को लेकर बुलाई गई प्रेस कांफ्रेंस में भाजपा की ओर से प्रभारी महासचिव विनोद तावड़े और बिहार के डिप्टी सीएम सम्राट चौधरी मौजूद थे. नीतीश कुमार की पार्टी जेडीयू की ओर से राष्ट्रीय महासचिव संजय झा तो चिराग पासवान की पार्टी से राजू तिवारी के अलावा हम से रजनीश कुमार प्रेस कॉन्फ्रेंस में शामिल थे. प्रेस कांफ्रेंस में न तो पशुपति पारस की पार्टी का कोई प्रतिनिधि था और न ही उपेंद्र कुशवाहा की पार्टी का कोई प्रतिनिधि. 


उपेंद्र कुशवाहा की नाराजगी के बाद अब राजद और कांग्रेस को भाजपा के अलावा एनडीए पर सवाल उठाने का एक मौका मिल गया है. पशुपति कुमार पारस ने तो प्रेस ब्रीफिंग कर अपनी नाराजगी जाहिर कर दी और मोदी सरकार से इस्तीफे का खुला ऐलान कर दिया. अब देखना यह है कि इन दोनों नेताओं की नाराजगी दूर करने के लिए भाजपा की ओर से क्या कदम उठाए जाते हैं.


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