Lok Sabha Election 2024: लोकतंत्र के सबसे बड़े त्योहार यानी लोकसभा चुनाव में अब मुश्किल से एक या दो महीने का वक्त बचा है. आने वाले दो महीनों में जनता को एक बार फिर से अपना सांसद चुनने का मौका मिलने वाला है. चुनावों में आधी आबादी की बात तो सभी करते हैं पर जब चुनाव की बारी आती है, तब आधी आबादी को प्रत्याशी बनाने के बदले लोकलुभावन वादों और नारों से लुभाने की कोशिश की जाती है. यही कारण रहा कि झारखंड में एक से ज्यादा महिलाओं को संसद की चौखट तक पहुंचने के लिए 15 साल तक इंतजार करना पड़ा. बता दें कि झारखंड ने पहली बार 2004 में किसी महिला को लोकसभा में भेजा था. उस वक्त खूंटी सीट से कांग्रेस की सुशीला केरकेट्टा सांसद चुनी गई थीं.


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वहीं 2019 में झारखंड की जनता ने पहली बार एक नहीं बल्कि दो महिलाओं को लोकसभा भेजा था. खास बात तो ये थी कि राजनीतिक दलों की ओर से सिर्फ 2 ही महिलाओं को टिकट मिला था और दोनों जीती थीं. इनमें से एक बीजेपी से थी और दूसरी कांग्रेस से. बीजेपी की अन्नपूर्णा देवी ने पूर्व मुख्यमंत्री और जेवीएम-पी के अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी को हराया था. तो वहीं कांग्रेस उम्मीदवार गीता कोड़ा ने बीजेपी के तत्कालीन प्रदेश अध्यक्ष लक्षमण गिलुवा को मात दी थी. बता दें कि अन्नपूर्णा देवी ने कोडरमा सीट से बाबूलाल मरांडी को 4,47,099 मतों के अंतर से हराया था. वहीं पूर्व सीएम मधु कोड़ा की पत्नी और कांग्रेस उम्मीदवार गीता कोड़ा ने 72,845 वोटों से लक्षमण गिलुवा को मात दी थी. 


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बता दें कि अन्नपूर्णा देवी ने लोकसभा चुनाव से ठीक पहले ही बीजेपी का दामन थामा था. इससे पहले वह राष्ट्रीय जनता दल (राजद) की राज्य अध्यक्ष थीं. बीजेपी ने उनको कोडरमा सीट से उतारा था. उनके खिलाफ बीजेपी से बगावत करने वाले बाबूलाल मरांडी ने ताल ठोकी थी. अन्नपूर्णा देवी ने 7,51,996 वोट हासिल किए थे तो उनके प्रतिद्वंदी मरांडी को 2,97,232 वोट मिले थे. उधर सिंहभूम सीट पर पड़े कुल 8,76,613 वोटों में से गीता कोड़ा ने 4,30,900 वोट हासिल किए. उनके प्रतिद्वंद्वी बीजेपी के तत्तकालीन प्रदेश अध्यक्ष को 3,58,055 वोट मिले थे.