INDIA नहीं, अब NDA में सीट शेयरिंग पर होगा बवाल! उपेंद्र कुशवाहा की डिमांड से बढ़ेगी BJP की टेंशन
Lok Sabha Election 2024: भाजपा के लिए सबसे मुश्किल स्थिति लोजपा को लेकर है. बिहार विधानसभा चुनाव के बाद लोजपा में विभाजन हो गया और उसके 6 में से 5 सांसदों ने पशुपति कुमार पारस के नेतृत्व में अलग गुट बना लिया. आज भी चिराग पासवान अपनी पार्टी के इकलौते सांसद हैं लेकिन वे लोजपा के पुराने स्वरूप के हिसाब से सीटों की सौदेबाजी करते दिख रहे हैं.
Lok Sabha Election 2024: INDIA ब्लॉक में सीट शेयरिंग का मसला अब मैच्योर लेवल पर पहुंच गया है. उत्तर प्रदेश में तो सीट शेयरिंग का ऐलान भी हो गया है तो दिल्ली, गुजरात, मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र आदि राज्यों में भी जल्द ही इस बात की घोषणा हो सकती है. उधर, एनडीए की बात करें तो वहां सीट शेयरिंग को लेकर अभी कोई अनाउंसमेंट नहीं किया गया है और माना जा रहा है कि अभी इसमें समय भी लग सकता है. इस बीच उपेंद्र कुशवाहा की पार्टी ने 4 सीटों की डिमांड कर हालात को पेचीदा बना दिया है. उनकी देखादेखी अब लोजपा के दोनों धड़े और मांझी भी ऐसी ही डिमांड कर सकते हैं. एनडीए में सीट शेयरिंग की बात करें तो बिहार और महाराष्ट्र में ज्यादा पेंच फंस सकता है. वहीं उत्तर प्रदेश में भी थोड़ी बहुत मगजमारी करनी पड़ सकती है. बिहार और महाराष्ट्र इसलिए क्योंकि इन दोनों राज्यों में भाजपा के पास बहुतायत में पार्टियां एनडीए में मौजदू हैं. बिहार में भाजपा के साथ जेडीयू, रालोमो, लोजपा के दोनों धड़े और जीतनराम मांझी की पार्टी हिन्दुस्तानी अवाम मोर्चा है. वहीं महाराष्ट्र में भाजपा के साथ शिवसेना शिंदे गुट और एनसीपी का अजित पवार गुट शामिल है.
2024 में क्या हो सकता है, इसपर बात करने से पहले आइए जान लेते हैं कि 2019 में बिहार में सीट शेयरिंग कैसे हुई थी. बिहार में 2019 के लोकसभा चुनाव में भाजपा के साथ जेडीयू और लोजपा ही पिछली बार चुनाव लड़े थे. भारतीय जनता पार्टी और जेडीयू दोनों बराबर बराबर यानी 17—17 सीटों पर चुनाव लड़े थे तो लोजपा बाकी बची 6 सीटों पर मैदान में थी. भाजपा और लोजपा के सभी प्रत्याशी चुनाव जीत गए थे तो नीतीश कुमार की पार्टी जेडीयू किशनगंज के रूप में एक सीट गंवा बैठी थी. तब जीतनराम मांझी और उपेंद्र कुशवाहा राजद खेमे में थे और इन दोनों की पार्टियों को एक भी सीट हासिल नहीं हुई थी. खुद उपेंद्र कुशवाहा 2—2 सीटों से मैदान में थे पर दोनों ही सीट गंवा बैठे थे.
भाजपा के लिए सबसे मुश्किल स्थिति लोजपा को लेकर है. बिहार विधानसभा चुनाव के बाद लोजपा में विभाजन हो गया और उसके 6 में से 5 सांसदों ने पशुपति कुमार पारस के नेतृत्व में अलग गुट बना लिया. आज भी चिराग पासवान अपनी पार्टी के इकलौते सांसद हैं लेकिन वे लोजपा के पुराने स्वरूप के हिसाब से सीटों की सौदेबाजी करते दिख रहे हैं. बताया जा रहा है कि चिराग पासवान ने अकेले अपनी पार्टी के लिए 6 सीटों की डिमांड कर दी है, वहीं भाजपा लोजपा के दोनों गुटों को 6 सीटों तक निपटाने में जुटी है. लोजपा को लेकर सबसे बड़ी मुश्किल हाजीपुर सीट को लेकर है.
पार्टी के दोनों धड़े स्वगर्मी रामविलास पासवान की विरासत पर अपना दावा पेश करते हुए हाजीपुर सीट से चुनाव लड़ना चाहते हैं और इसे लेकर कोई भी पीछे हटता नहीं दिख रहा है. भाजपा के लिए हाजीपुर सीट टेंशन का कारण बन गई है. आए दिन कभी चिराग पासवान तो कभी पशुपति कुमार पारस हाजीपुर सीट से दावेदारी ठोक देते हैं. देखना यह है कि भाजपा आलाकमान लोजपा को लेकर पैदा हुई दुविधा को कैसे दूर करता है.
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लोजपा के बाद एनडीए में उपेंद्र कुशवाहा की पार्टी राष्ट्रीय लोक मोर्चा की ओर से भी भाजपा के लिए परेशानी पैदा की जा सकती है. जहानाबाद में गुरुवार शाम को पार्टी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष और पूर्व विधायक डा. रणविजय कुमार सिंह ने अपनी पार्टी की ओर से 4 सीटों पर दावेदारी ठोक दी. इन चार सीटों में रालोमो की नजर जहानाबाद सीट पर भी है. रणविजय का कहना है कि 2014 के लोकसभा चुनाव में हमारी पार्टी को 3 सीटें हासिल हुई थीं और उनमें जहानाबाद भी एक था. इसी आधार पर हमारी पार्टी जहानाबाद सीट पर अपना दावा ठोक रही है. उन्होंने यह भी कहा कि 23 फरवरी को गांधी मैदान में पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा एक रैली को संबोधित करेंगे. इस रैली का उद्देश्य एनडीए को मजबूत बनाना है.