Gopalganj News: लोकसभा चुनाव नजदीक आते देख चुनावी सरगर्मियां तेज हो गई हैं. क्षेत्र में चुनाव लड़ने वाले दावेदारों की सक्रियता बढ़ गई है और पूरे क्षेत्र में खुद को बड़ा दावेदार पेश करने की कवायद की जा रही है. वॉल पेंटिंग से लेकर प्रचार और लोगों को प्रभावित करने के और भी तरीके आजमाएं जा रहे हैं. गोपालगंज सीट की बात करें तो इस सुरक्षित सीट के लिए बीजेपी उम्मीदवारी को लेकर लोगों में काफी चर्चाएं हैं. 


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महागठबंधन से तो वर्तमान जदयू सांसद डॉ आलोक कुमार सुमन फिर से चुनावी मैदान में कूदने की फिराक में हैं. उनके साथ दिक्कत यह है कि इंडिया में अभी सीट शेयरिंग पर कोई फैसला नहीं हुआ है और गपालगंज सीट किस दल के कब्जे में आएगी, इस बारे में अभी कुछ भी क्लीयर नहीं हो पाया है. भाजपा से सुदामा मांझी, डॉ. अरबिंद कुमार और पूर्व सांसद जनकराम की पत्नी प्रियंका कुमारी जिलेवासियों को अपनी शुभकामनाएं दे रही हैं. 


वहीं, गोपालगंज के मशहूर सर्जन डॉ सुनील कुमार रंजन ने भी लोकसभा चुनाव के लिए ताल ठोकने का ऐलान कर दिया है. डॉ. सुनील ने कहा कि लोकसभा चुनाव में अगर बीजेपी मुझे टिकट देती तो मैं चुनाव लडूंगा. हालांकि, बीजेपी से अभी कोई आश्वासन नही मिला है लेकिन मैं इस कोशिश में लगा हुआ हूं. उन्होंने कहा कि अगर जनता चाहेगी कि नया चेहरा सामने आए तो मैं जरूर कोशिश करूंगा. उन्होंने कहा कि मुझे उम्मीद है कि टिकट मुझको ही मिलेगा.


गोपालगंज सीट कभी कांग्रेस का गढ़ माना जाता था तो उसके बाद यहां लालू प्रसाद यादव का सिक्का चलने लगा. बाद में भाजपा ने यह सीट कब्जा ली. गोपालगंज ऐसी सीट है, जब कांग्रेस को पूरे देश में 400 से अधिक सांसद मिले थे, तब वह यह सीट हार गई थी. वहीं 2014 के मोदी लहर में भी भाजपा यह सीट कब्जा नहीं पाई थी. विकास की रोशनी से दूर यह क्षेत्र आज भी गंडक, गन्ना और गुंडों की समस्याओं से परेशान है. 


गोपालगंज लोकसभा सीट में बैकुंठपुर, बरौली, गोपालगंज सदर, कुचायकोट, भोरे और हथुआ विधानसभा सीटें शामिल हैं. 2019 में भाजपा ने इस सीट को सहयोगी दल जेडीयू को दे दिया था लेकिन इस बार जेडीयू विपक्षी गठबंधन में शामिल है. लिहाजा, भाजपा यहां से अपना उम्मीदवार जरूर खड़ा करना चाहेगी. समीकरण की बात करें तो यहां ब्राह्मण, मुस्लिम, कुर्मी, भूमिहार, कुशवाहा, वैश्य और महादलित आबादी है. 


गोपालगंज ने बिहार को तीन मुख्यमंत्री दिए: लालू प्रसाद यादव, राबड़ी देवी और अब्दुल गफूर. 2009 के परिसीमन में इस सीट को अनुसूचित जाति के​ लिए आरक्षित कर दिया गया था.


रिपोर्ट: महेश तिवारी, गोपालगंज


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