Bihar Politics: 23 जनवरी का दिन आपको सभी को याद होगा, जब बिहार के पूर्व सीएम कर्पूरी ठाकुर को केंद्र सरकार ने भारत रत्न देने का ऐलान किया. मोदी सरकार की इस घोषणा के बाद बिहार की पूरी सियासी फिजा बदल गई थी. सीएम नीतीश कुमार का मन डोल गया था और वह महागठबंधन से नाता तोड़कर बीजेपी संग रिश्ता जोड़कर एनडीए में शामिल हो गए, और इंडी गठबंधन की जड़ ही हिल गई थी. अब मोदी सरकार ने यहीं फॉर्मूला उत्तर प्रदेश में अपनाया है. पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह को भारत रत्न से सम्मानित करने का ऐलान किया है. जिसके बाद सियासी हलकों में चर्चा होने लगी कि बिहार की तर्ज पर बीजेपी ने जैसे नीतीश कुमार को अपने पाले में किया, ठीक वैसे ही जयंत चौधरी को एनडीए खेमे में शामिल करवा लेगी.


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अब इसके इस तरह से समझिए. नीतीश कुमार जब बीजेपी से अलग होकर महागठबंन में जाकर सरकार बनाई थी. इसके बाद उन्होंने पूरे देश के क्षेत्रिय दलों को एक मंच पर लगाकर इंडी गठबंधन को एनडीए के खिलाफ बनाया था. इसी गठबंधन में उत्तर प्रदेश के जयंत चौधरी की पार्टी आरएलडी भी शामिल है. बीजेपी को इस बात की टेंशन हो रही था कि आखिर नीतीश कुमार को दोबारा कैसे एनडीए में वापस लाया जाए. इसका उपाय मोदी सरकार ने निकाला और पूर्व सीएम कर्पूरी ठाकुर को भारत रत्न से सम्मानित कर दिया, फिर क्या था नीतीश कुमार उनकी (कर्पूरी ठाकुर) जयंती के मौके पर पीएम मोदी के फोन आने का इंतजार करने की बात कह दी. बीजेपी का यह दांव काम कर गया और नीतीश कुमार दोबारा एनडीए के अहम अंग बन गए.


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अब उत्तर प्रदेश में खासतौर पर पश्चिमी यूपी में बीजेपी को जयंती चौधरी की जरूरत लोकसभा चुनाव में पड़ सकती है. वह अभी इंडी गठबंधन में शामिल हैं. हालांकि, अब सियासी गलियारों में इस बात की चर्चा हो रही है कि जयंत चौधरी बीजेपी से साथ गठबंधन कर सकते हैं. वहीं, इन सब चर्चा के बीच मोदी सरकार ने ठीक बिहार वाला दांव चल दिया और जयंत चौधरी के दादा को भारत रत्न से सम्मानित करने का ऐलान कर दिया. इससे तो अब करीब-करीब यह साफ हो जाता है कि जयंत चौधरी उत्तर प्रदेश में इंडी गठबंधन छोड़कर एनडीए में जा सकते हैं. इसका मतलब साफ है कि बीजेपी ने एक दांव से विरोधियों के खेमे में हलचल मचा दी है.