Bihar Political Crisis: बिहार में सियासी उथलपुथल या यूं कहें कि सुनामी आ चुकी है. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के आवास पर जेडीयू के वरिष्ठ नेताओं का जमावड़ा बढ़ता जा रहा है. ललन सिंह, विजय चैधरी और उमेश कुशवाहा मुख्यमंत्री से आगे की रणनीति को लेकर चर्चा कर रहे हैं तो भाजपा की ओर से बिहार प्रदेश अध्यक्ष सम्राट चैधरी पटना से दिल्ली के लिए रवाना हो चुके हैं. वे बिहार की राजनीतिक गतिविधियों के बारे में भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा और केंद्रीय गृह मंत्री से चर्चा करेंगे. भाजपा आलाकमान ने दरअसल एनडीए में नीतीश कुमार की पार्टी जेडीयू की वापसी को हरी झंडी दे दी है. उधर, राजद प्रमुख लालू प्रसाद यादव ने भी कमान संभाल ली है. दरअसल राजद के पास समर्थक दलों के विधायकों के साथ 114 विधायक हैं और 8 विधायकों की कमी है सरकार बनाने में. अब लालू प्रसाद इन्हीं 8 विधायकों के जुगाड़ में लग गए हैं.


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दरअसल, 243 विधायकों वाली बिहार विधानसभा में सरकार बनाने के लिए 122 विधायकों की जरूरत होती है. राजद के पास 79, कांग्रेस के पास 19 और वाम दलों के पास 16 विधायक हैं. कुल मिलाकर राजद के पास 114 विधायकों का इंतजाम है और अगर लालू प्रसाद यादव 8 विधायकों का इंतजाम कर लेते हैं तो तेजस्वी यादव को मुख्यमंत्री बनने से कोई नहीं रोक सकता. सूत्र बताते हैं कि लालू प्रसाद यादव इन विधायकों के इंतजाम में जुट भी गए हैं. 


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उधर, नीतीश कुमार के आवास पर पूर्व अध्यक्ष ललन सिंह के अलावा सभी वरिष्ठ नेताओं का जमावड़ा हुआ है. आगे की रणनीति पर विचार विमर्श किया जा रहा है. इसमें कोई दोराय नहीं कि अब सरकार अब तब में चल रही है और कभी भी महागठबंधन या इंडिया की सरकार पर बम फूट सकता है. और यह बम खुद नीतीश कुमार ही फोड़ने वाले हैं. बताया जा रहा है कि एनडीए में शामिल होने के बाद नीतीश कुमार विधानसभा भंग करने की सिफारिश कर सकते हैं, ताकि लोकसभा के साथ साथ विधानसभा चुनाव भी करवा दिए जाएं. अगर ऐसा होता है तो यह भाजपा के लाभ वाली स्थिति हो सकती है और इंडिया या फिर महागठबंधन को इसका नुकसान हो सकता है.


उधर, हम के 4, ओवैसी की पार्टी के एक और एक निर्दलीय को लालू प्रसाद यादव अपने फेवर में कर लेते हैं तो भी सरकार बनाने के लिए उन्हें 2 और विधायकों का समर्थन चाहिए. इसी को लेकर राबड़ी आवास में भी बैठकों का दौर चल रहा है. भोला यादव, शक्ति सिंह यादव सहित कई विधायक और नेता राबड़ी आवास पहुंच रहे हैं. राजद की रणनीति जेडीयू को तोड़ने की भी हो सकती है.